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उत्तर की बात : यूपी बीजेपी में भदेस, चल रही योगी हटाओ मुहिम!

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

लोकसभा चुनाव में बेहद निम्न प्रदर्शन करने के बाद से ही यूपी बीजेपी में फिर से असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। आम चुनाव में लचर प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री योगी का विरोधी गुट सक्रिय हो गया है और किसी न किसी तरीके से सीएम योगी पर निशाना साध रहा है। खास बात यह है कि ये गुट सीधे सीएम पर निशाना लगाने की बजाय ​हार के लिए नौकरशाही और अन्य कारणों को जिम्मेदार बता रहा है। भले ही निशाना कहीं और लगाया जा रहा हो, लेकिन सबको मालूम है कि हमले से चोट योगी को ही लगनी है।
लखनऊ में बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं से कहा, `जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है’ और बीजेपी में सरकार से बड़ा संगठन है, संगठन था और रहेगा। केशव मौर्य ने कहा कि ७ कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला है। कार्यकर्ताओं के मन की बात कहने पर केशव मौर्य को सबसे ज्यादा तालियां मिलीं। जब संगठन के बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केशव मौर्य तक कार्यकर्ताओं की बात कर रहे थे तो उसका जवाब सीएम योगी ने यह कह कर दिया कि जब विपक्ष झूठे नैरेटिव गढ़ रहा था तो हमारे कार्यकर्ता जवाब क्यों नहीं दे पाए? सीएम योगी के निशाने पर संगठन था और इसीलिए उन्होंने `अति आत्मविश्वास’ शब्द का इस्तेमाल किया। सीएम ने कहा कि चुनाव के नतीजों से किसी को बैकफुट पर जाने की जरूरत नहीं है। दरअसल, इसका अर्थ निकालने वाले कुछ भी निकाले, लेकिन मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया कि वो भी बैकफुट पर नहीं जाने वाले। कार्यकारिणी की बैठक के बाद से ही यूपी के सियासी गलियारों में सीएम योगी को हटाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
असल में २०१७ से जब योगी आदित्यनाथ सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं, तब से पार्टी का एक धड़ा समय-समय पर उनके हटने की खबरें पैâलाता रहता है। बीते सात साल से यूपी में भाजपा की सरकार है। २०१७ में मिली जीत के बाद दो चुनावों यानी २०१९ के लोकसभा चुनाव और फिर २०२२ के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। पिछले सात साल में किसी ने उत्तर प्रदेश की नौकरशाही को निशाना नहीं बनाया, लेकिन २०२४ में भाजपा का प्रदर्शन खराब होते ही नौकरशाही निशाने पर आ गई। अगर अधिकारी खराब हैं और भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते हैं, काम नहीं करते हैं तो यह बात उठाने में सात साल वैâसे लग गए? क्या योगी आदित्यनाथ के कमजोर होने का इंतजार किया जा रहा था, मौका खोजा जा रहा था? १० मई, २०२४ को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर तिहाड़ जेल से बाहर आते ही उन्होंने दावे के साथ कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में बड़ा बदलाव होगा। बड़ा बदलाव यह होगा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पद से हटाए जा सकते हैं।
केजरीवाल की ओर से यूपी के सीएम योगी पर दिए गए बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक निजी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि पूरे देश में योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री कोई नहीं है। वह सबसे योग्य सीएम हैं। उनकी काबिलियत पर हर किसी को भरोसा है। उन्हें हटाने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बीती १६ जुलाई को बीजेपी मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे। दोनों की मुलाकात के बाद से यूपी में कुछ अप्रत्याशित सियासी घटनाक्रम की अटकलें तेज हो गई हैं! इस चर्चा को स्वामी प्रसाद मौर्य के उस बयान से जोड़ा जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार से ज्यादा पार्टी मायने रखती है। प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी से आत्मचिंतन की बात जरूर की। यह नसीहत सबके लिए है, चाहे संगठन हो या सरकार। अब देखना यह है कि क्या खींची हुई तलवारें वापस म्यान में जाती हैं या फिर आनेवाले वक्त में उत्तर प्रदेश शीर्ष स्तर पर मचा घमासान यूं ही बना रहता है।

(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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