रोहित माहेश्वरी
लखनऊ
यूपी में १० विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख भले ही अभी घोषित नहीं हुई। लेकिन उपचुनाव को लेकर भाजपा, सपा, कांग्रेस, आरएलडी समेत सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। राजनीतिक दलों की तैयारी को देखते हुए इस बात की आशंका है कि जल्द ही उपचुनाव की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और सपा-कांग्रेस दोनों के लिए उपचुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है। यूपी में विधानसभा की १० सीटों पर उपचुनाव होना है, इनमें से ९ सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई हैं। वहीं कानपुर के सीसामऊ विधानसभा सीट से विधायक इरफान सोलंकी को एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण खाली हुई सीट पर भी उपचुनाव होगा।
यूपी में जिन सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें मझवां, करहल, सीसमऊ, फूलपुर, कटेहरी, मिल्कीपुर, खैर, मीरापुर, कुंदरकी और गाजियाबाद शामिल हैं। पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, सीसमऊ और कुंदरकी सीटें जीती थीं। जबकि बीजेपी ने फूलपुर, खैर और गाजियाबाद सीटें जीती थीं। उसकी सहयोगी निषाद पार्टी ने मझवां सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं जयंत चौधरी की रालोद ने मीरापुर से जीत दर्ज की थी, जो तब सपा की सहयोगी थी। अब आरएलडी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाकर बढ़ी सपा ३७ सीटें जीतकर देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनी है। इतनी लंबी छलांग लगाने के बाद सपा यूपी में अपनी जमीन बनाए रखने के साथ ही दूसरे राज्यों में भी अपने विस्तार को लेकर उत्साहित है। विपक्षी खेमा उपचुनाव को लेकर पूरी तरह से सक्रिय है। लोकसभा चुनाव परिणामों से उत्साहित कांग्रेस व सपा का उपचुनाव में भी गठबंधन रहेगा। दोनों ही दल के नेता इसके साफ संकेत दे चुके हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी इस सिलसिले में अपनी संगठनात्मक बैठक की। लेकिन यह मीटिंग लखनऊ के बजाय प्रयागराज में हुई, जिसमें कांग्रेस ने इंडिया ब्लॉक के अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी को साफ-साफ इशारा किया है कि वह उपचुनाव वाली १० सीटों में से कम से कम ५ पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है। हालांकि, समाजवादी पार्टी की ओर से कांग्रेस को तीन सीटें तक देने की उम्मीद की जा रही है। प्रयागराज मंडल के पास की दोनों सीटें कांग्रेस पार्टी चाहती है। वह प्रयागराज की फूलपुर सदर और मिर्जापुर की मझवां सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। सपा की ओर से भी सभी सीटों पर पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका मुकाबला सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली भारतीय जनता पार्टी से होना है। यूपी में १० सीटों में किसकी कितनी भागीदारी होगी, इसे लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही है। जिस पर अंतिम मुहर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच बातचीत के बाद ही लगेगी।
आमतौर पर उपचुनाव से दूरी बनाने वाली बसपा ने लोकसभा चुनाव के फलस्वरूप रिक्त हुई प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। कुल मिलाकर यूपी का राजनीतिक तापमान उपचुनाव को लेकर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। आखिरकार इस चुनाव में दोनों गठबंधनों की प्रतिष्ठा और आने वाले कल की राजनीति बहुत हद तक टिकी हुई है।