रोहित माहेश्वरी लखनऊ
देश में आम चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लग गए हैं। देश की संसद को सर्वाधिक ८० सीटें देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में राजनीति का पारा लगातार हाई हो रहा है। भाजपा, बसपा, सपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों ने भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। लेकिन प्रदेश में कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है। ऐसी ही एक सीट है, कांग्रेस का किला माने जानी वाली रायबरेली।
नेहरू गांधी परिवार का रायबरेली से बहुत पुराना और मजबूत रिश्ता है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से गांधी परिवार के कई सदस्य लोकसभा पहुंचे हैं। इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दो बार जीत कर सांसद बनीं। इतना ही नहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस सीट से चार बार जीतकर संसद पहुंची। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जो एक मात्र सीट हासिल की थी, वह रायबरेली की ही थी।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के लिए हॉट सीट रायबरेली पर अब तक सोनिया गांधी चुनाव लड़ती आई हैं। सोनिया ने पहले १९९९ में अमेठी से चुनाव लड़ा, तब वे कांग्रेस अध्यक्ष थीं। इसके बाद २००४, २००९, २०१४ और २०१९ में उन्होंने रायबरेली से चुनाव जीता। २०१९ के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने यह साफ कर दिया था कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा। अब इस चुनाव को लेकर कुछ दिनों पहले सोनिया गांधी को राजस्थान से राज्यसभा भेजने का पैâसला किया गया।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले मैदान में थी। इस बार इंडिया गठबंधन में सपा और कांग्रेस गठबंधन में हैं। कांग्रेस १७ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राहुल गांधी की `भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में भी प्रियंका शामिल हुई थीं। उस समय भी प्रिंयका गांधी को सुनने के लिए भीड़ उमड़ी थी। असल में प्रियंका महिला सुरक्षा के अलावा युवाओं के मुद्दों को लगातार जोरदार तरीके से उठाती रहती हैं।
सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद से ही सबकी नजरें इसी पर टिकी थीं कि उनके बाद रायबरेली से कौन मैदान में उतरेगा। उम्मीदवार के नाम को लेकर लगातार कयासों का दौर जारी है। सोनिया गांधी के चुनाव लड़ने के इनकार के बाद से ही स्थानीय नेता और पार्टी समर्थक रायबरेली से प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने की मांग करते रहे हैं।
इस बीच खबर है कि कांग्रेस रायबरेली लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी को मैदान में उतार सकती है। जानकारी के मुताबिक, पार्टी के उच्चस्तरीय संगठन में इस बात पर चर्चा हो चुकी है। पार्टी के भीतर इस पर सहमति बन गई है। पार्टी अप्रैल के दूसरे सप्ताह में रायबरेली से प्रियंका गांधी के नाम का एलान कर सकती है।
सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है कि क्या रायबरेली और गांधी परिवार का साथ छूट जाएगा? क्या सोनिया गांधी के इस राजनैतिक पैâसले में परिवार के आगे की राह है? भाजपा को लगता है कि रायबरेली से कांग्रेस का नाता कमजोर हो रहा है। सोनिया गांधी जमीनी हकीकत से पूरी तरह वाकिफ थीं इसलिए राज्यसभा नामांकन से पहले सोनिया ने रायबरेली के लोगों के नाम भावुक चिट्ठी लिखी थी। सोनिया गांधी ने सीधे ही रायबरेली के लोगों को संबोधित किया और उन्हें परिवारीजन लिखा। लेकिन ये भी इशारा किया कि उनकी लोकसभा सांसद के तौर पर पारी भले ही खत्म हो रही हो। वो इस इलाके की जनता से रिश्ता तोड़ना नहीं चाहतीं। ऐसे में इसारा साफ है कि रायबरेली से गांधी परिवार का कोई सदस्य या फिर परिवार का बेहद करीबी उम्मीदवार होगा। वहीं मिशन ८० को लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी रायबरेली में कांग्रेस को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है।
सूबे की राजनीति का करीब से समझने वालों के अनुसार, अगर कांग्रेस अमेठी-रायबरेली को छोड़ देती है तो यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश ही छोड़ दिया है। प्रियंका गांधी को लेकर हर वर्ग के वोटरों में बड़ा उत्साह है। लोग उनको सुनना चाहते हैं। २०२२ के विधानसभा चुनाव में भले ही नतीजे कांग्रेस के पक्ष में न रहे हों, लेकिन प्रियंका गांधी ने विपक्ष को तगड़ी चुनौती दी थी। विश्लेषकों के अनुसार, प्रदेश में कांग्रेस संगठन काफी समय से बिखरा और अव्यवस्थित है। ऐसे में अगर पार्टी संगठन की मजबूती की ओर ध्यान दे तो तस्वीर बदलने में देर नहीं लगेगी।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)