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बेरोजगार, बेरोजगार हैं या नहीं? … सरकार काटेगी सूची

संजय गांधी निराधार योजना का खर्च कम करने की ‘ईडी’ सरकार ने शुरू की कवायद
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
खाली खजाने से जूझ रही ‘ईडी’ २.० सरकार की नजर अब बेरोजगारों की ओर लगी है। अब वह यह जांच करनेवाली है कि बेरोजगार, बेरोजगार हैं या नहीं? ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि बेरोजगारों को मिलनेवाले वजीफे में कटौती की जा सके। दरअसल, राज्य में संजय गांधी निराधार योजना का खर्च कम करके सरकारी तिजोरी को भरना चाहती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सामाजिक न्याय विभाग संजय गांधी निराधार योजना के तहत १,००० रुपए मासिक वजीफा पाने वाले लाभार्थियों की लंबी सूची को फिर से तैयार करने में व्यस्त है। इसके साथ ही श्रवण बाल सेवा योजना के लाभार्थियों की भी जांच की जा रही है। इन योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या करीब २२.५ लाख है। इसके अलावा राज्य, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले वृद्ध व्यक्तियों के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित बीपीएल, विधवाओं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पेंशन योजना में भी अपना योगदान देता है। इन सभी में शामिल लाभार्थियों की जांच कर छंटनी करने का विचार किया जा रहा है।
बता दें कि कुछ महीने पहले वित्त विभाग के निर्देश के बाद लाभार्थियों को भुगतान प्राप्त करना जारी रखने के लिए अपने बैंक खातों को आधार से जोड़ने के लिए कहा गया था। परिणामस्वरूप लाभार्थियों की संख्या ४७ लाख से घट गई है। अब कथित तौर पर अजीत पवार के आदेश पर अन्य विभागों को भी इसी हथकंडे को अपनाने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि अजीत पवार ने लाडली बहन योजना पर ६५,००० करोड़ रुपए और किसानों के लिए बिजली बिल माफी सहित प्रमुख व्ययों पर प्रकाश डाला, जिसमें अकेले एमएसईडीसीएल को १७,०००-२०,००० करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। अकेले लाडली बहन योजना के लिए सालाना ४५,००० करोड़ रुपए की आवश्यकता है।

घाटे के बोझ से दबी सरकार
पहले से ही ४५ हजार राजस्व घाटे को झेल रही महायुति सरकार लाडली बहन जैसी कई लोकलुभावन योजनाओं से बढ़ती लागत के बोझ से दबी है। इन योजनाओं से सरकार दिवालिया हो चुकी है। आलम यह है कि इस घाटे को कम करने की जुगत में ‘ईडी’ २.० सरकार के पसीने छूटने लगे हैं।

तिजोरी का बंटाधार
लाडली बहन योजना ने राज्य के सरकारी तिजोरी का बंटाधार कर दिया है। सरकारी खजाना खाली होने के चलते कई विभागों के फंड को भी लाडली बहन योजना की ओर मोड़ा जा रहा है। इस योजना के चलते न केवल विकास की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी बाधाएं आ रही हैं।

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