मेरे हर मोड़ पे

मेरे हर मोड़ पे, किसी का आशियाना है
उसे अब देखके ए दिल को बहलाना है
छिला है ख़्वाब तो वो याद आएगी
मोहब्बत कर वो दूर फिर न जाएगी
उसी से रिश्ता है मेरा, आसमां वाला
साथ है जो उसी का हर, जहां वाला
तोड़ के रिश्ता फिर मुड़ के ना जाएगी
मोहब्बत कर वो दूर फिर न जाएगी
महकती शाम वो, बागों की तितलियां-सी
उसे जो छू लूं तो लगती हैं कलियां-सी
उसे कैसे भूलूं मैं, वो याद आएगी
मोहब्बत कर वो दूर फिर न जाएगी
वो इक हसीं हैं जवां और हैं मखमली
ये दिल नसीब हुआ जो मुझको मिली
है ये मुझको पता वो लौट आएगी
मोहब्बत कर वो दूर फिर न जाएगी
– मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश

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