मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : हवाई जहाज के सवारी

अवधी व्यंग्य : हवाई जहाज के सवारी

एड. राजीव मिश्र
मुंबई

नोखई कचहरी जाए बदे सुबहिये से तैयारी मा लागि अहइ। गोरुन के सानी-पानी कइके नहाय धोइ के तैयार होय गयें। दुइ बरिस पहिले के सियावा कुरता पैजामा डटाय के मुड़े पर गमझा लपेटि के सड़क पे झोला लइके आइ धमके। एक घंटा होइ गवा पर कउनउ सवारी रुकतय नही है। जवन गाड़ी देखो ठसाठस भरी है। एक ओरी सवारी नही मिलत है दूसरी ओर घाम है कि चंडासा फारे देइ रहा है। सवा घंटा के बाद हिलत-डोलत एक ठो सरकारी रोडवेज बस चरचरात अइसन रुकी कि मानो आज के बाद ओहि बस के रिटायरमेंट होय। खिड़की में से गुटका मुँह में दबाए कंडक्टर बोलि परे, कहाँ जइहौ? जायके तो जौनपुर रहा! तो आइके बइठिहो कि परछन करय होइ। खी-खी करत नोखई बस मा चढ़ि गयें। एकदम पाछे वाली सीट खाली रही तो बिना देर किहे तुरतय कब्जियाय लिहे। नोखई अबहीं साँसउ नही लेइ पाए रहे तब तक कंडक्टर साहब हाँक लगाइन, टिकट लेइ लेव हो लंबरदार। मन मसोस के नोखई दस के नोट निकारि के कंडक्टर की ओर बढ़ायेन, साहब टिकट के पीछे २ लिखिके गोलियाय दिहिन अउर नोखई के देइके बोले उतरत समय दुइ रुपिया वापिस मांगि लिहो। साहब बस तो पॉलिटेक्निक चौराहा पहुँचि गय है तो पइसवा देइ देव का पता भुलाय जाई उतरय बेरी। अरे यार गजब हौ, तुम्हार दुइ रुपिया कही भागा नही जाइ रहा है। जाओ चुप्पय बईठो। ई का बात है साहेब ? बैग भरि के चिल्लर लिहे बइठे हो अउर दुइ रुपिया वापिस करय मा नरी सूत लागि गय अहइ। अइसा है ज्यादा नेतागिरी न करो, आगे से सरकारी बस मा बइठो तो छुट्टा पइसा लइके बइठो। पता नही कहाँ से आय जात है। अइसा है भइया हमका कमजोर न समझो हम वोटर हैं भले पाँव मा हवाई चप्पल पहिने हँय पर देश के परधानमंत्री हमका हवाई जहाज मा बैठइहैं। अरे जाओ जहाज के किराया पता करो अब एयरइंडिया नही बची है कि तीन हजार में हवाई जहाज में बईठी जइहौ। हवाई जहाज में अब जूता वाले न बईठ पइहैं तू हवाई चप्पल पहिन के बकलोली न करो अउर उतरो। नोखई गुस्सा में बड़बड़ात बस से उतरय लगे तब तक बस के दरवाजा में उचरी चद्दर में कुरता फसि के चर्र से फटि गवा। हवाई जहाज के सपना देखय के चक्कर मा नोखई सरकारी बस के किरपा से कुरता भी बलिदान कइ दिहें।

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