मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : रामलीला

अवधी व्यंग्य : रामलीला

एड. राजीव मिश्र मुंबई

बुढ़नपुर के रामलीला के पूरे एरिया मा बहुत नाम है। ओहि रामलीला के सजावट, पात्र अउर भेषभूषा सब एक नंबर है। पिछले कई बरिस से रामलीला के दुइ प्रमुख पात्र के ऊपर संकट आइ गवा है। बाबू गोरखनाथ सिंह पिछले ३० बरिस से रावण चरित्र के अभिनय कइ रहे हैं, पर पिछले बरिस उनका फालिज मारि दिहिस तब से उ बिस्तर पर पड़े हैं। हालांकि, यहि बुरे समय में उनकर साथ अगर केउ दिहिस तो परेम गुप्ता जो हनुमान के भूमिका रामलीला में निभावत रहें। गांव जवार के लोग चर्चा करें कि भले रामलीला के मंच पर परेमवा गोरख के लंका फूंकि दिहे होय पर आज जब खुदय गोरख के लंका लगी है तो परेमवा ही कामे आवा। रावण के दु:ख में परेम भी रामलीला में हनुमान बनय से मना कइ दिहिन तब से रामलीला समिति के ऊपर संकट आइ गवा है। बहुत मंथन के बाद तय भवा कि ठाकुर बृजभान सिंह रावण अउर परेम के छोटा भाई परसाद सेठ हनुमान बनिहैं। परसाद के गाँव मा परचून के दुकान है, पर परसाद गहकी से कबहु सीधे मुँह बात नही किहिन। रामलीला से कइयौ दिन तक प्रैक्टिस भई सब कुछ ठीक-ठाक रहा अउर रामलीला में लंकादहन के दिन आइ गवा, लेकिन बृजभान के मन मा कुछ अउरय चलि रहा है। एक दिन बृजभान परसाद के दुकान पर पान खाये गयें रहें पर चिल्लर नही रहे के कारन परसाद उनके पान नही खियाये रहें। खैर, अशोक वाटिका प्रसंग के बाद मेघनाद हनुमान के पकड़ि के रावण के सामने लेइ आवा। महराज इहै उ उतपाती बानर है जवन पूरी अशोक वाटिका उजारि दिहिस अउर अक्षय कुमार के हुरकुचि के मारिस। इतना सुनतै रावण बने बृजभान सिंह गुस्सा से तमतमाय गए। उनके याद आइ गवा कि कइसे परसाद ओहि दिन बिना पान खवाये लउटाइ दिहिन रहा। गुस्सा में बृजभान आउट ऑफ सिलेबस जाइके उठे अउर परसाद के ई कहत तुम्हरी इतनी हिम्मत होइ गई कि तू हमरे बगइचा में घुसि आये कहिके जोर से एक गदा परसाद के पीठ पर धइ दिहिन। इतने में परसाद ई कहत कि तै जानकी जी के हरण कइ लिहिस, आज तोहका ठीक कइके मानब, इतना कहिके बृजभान के ऊपर गदा लइके पिलि गवा अउर बृजभान के सिंहासन से खींच के मारय शुरू कइ दिहिस अउर यहि अफरा-तफरी के बीच रामलीला के पर्दा गिर गवा।

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