अरुण कुमार गुप्ता
देश के इस लोकसभा चुनाव में कई ऐसे अतरंगी प्रत्याशी भी देखने को मिल रहे हैं, जो चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि शौक के लिए लड़ रहे हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी बलिया लोकसभा से नामांकन करने आए, जिन्हें चुनाव तो लड़ना है, लेकिन उनके पास जमानत शुल्क जमा करने तक के पैसे नहीं हैं। जिले के नरही थाना क्षेत्र अंतर्गत चौरा गांव के रहने वाले शेषनाथ राम नामांकन के लिए डीएम कार्यालय पहुंचे थे। शेषनाथ चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। एक बार जीत नसीब हुई है और तीन बार हार का मुंह देखना पड़ा है। शेषनाथ पेशे से किसान हैं। इस बार वह चुनाव में जमानत शुल्क के तौर पर अपना खसरा-खतौनी जमा किए हैं। बलिया लोकसभा से निर्दलीय प्रत्याशी शेषनाथ राम कहते हैं कि वो इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। जानता हूं कि चुनाव नहीं जीतूंगा लेकिन फिर भी लड़ रहा हूं। माली हालात ठीक नहीं है इसलिए जमानत के तौर पर खेत के खसरा-खतौनी रख रहा हूं। शेषनाथ राम ने आगे बताया कि २००२ में जिला पंचायत का चुनाव भारी मतों से प्रदेश टॉप करते हुए उन्होंने जीत हासिल की थी। इस चुनाव के अलावा हर चुनाव में हार ही मिली। इस बार के चुनाव में भी घर-घर जाने का प्रयास जारी है। आगे मतदाताओं की मर्जी, हर चुनाव में मैदान में रहता हूं। कभी तो जनता मौका देगी।
चुनावी ड्यूटी की आड़ में नदारद
चुनाव के दौर में ग्राम पंचायतों में सफाई व्यवस्था बदहाल हो गई है। आंबेडकर नगर के जलालपुर में चुनाव ड्यूटी का हवाला देकर कई जगह सफाईकर्मी अपना काम छोड़ नदारद हैं। ऐसे में गांवों में सफाई व्यवस्था बदहाल हो गई है। कई ग्राम प्रधानों व ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की है। ग्राम पंचायतों में इन दिनों साफ-सफाई व्यवस्था डंवाडोल है। ज्यादातर सफाई कर्मचारियों ने चुनाव ड्यूटी का हवाला देकर कामकाज छोड़ दिया है। पूरे जिले में ८९९ ग्राम पंचायतों की बेहतर साफ-सफाई के लिए १,७३६ सफाई कर्मचारियों की तैनाती है। इन दिनों १,३१५ सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई है। इसमें से लगभग २०० सफाई कर्मचारी ईवीएम के रेंडमाइजेशन व राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में कतिपय व्यवस्थाओं के लिए लगाई गई है। इस बीच ड्यूटी लगने की आड़ में सफाई कर्मचारियों ने लापरवाही शुरू कर दी है। चुनावी ड्यूटी का बहाना बनाते हुए संबंधित गांव में साफ-सफाई के लिए नहीं पहुंच रहे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई।
उलझ गए कृपा
उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में न्यूट्रल रहने का पैâसला किया तो बाहुबली धनंजय सिंह ने जौनपुर में बीजेपी को समर्थन देने का निर्णय किया। धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी ने पिछले दिनों जौनपुर सीट पर बसपा उम्मीदवारी से अपने कदम पीछे खींच लिए थे, जिसके बाद ही तय हो गया था कि देर-सवेर बीजेपी के साथ खड़े नजर आएंगे। धनंजय सिंह के बीजेपी प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के पक्ष में समर्थन करने से जौनपुर सीट बीजेपी के लिए आसान होने के बजाय सियासी समीकरण में उलझ गई है। जौनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के कृपाशंकर सिंह के खिलाफ सपा से बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में हैं। बसपा ने अपने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव पर दांव खेला है। बीजेपी फिर से २०१४ की तरह कमल खिलाने की बात जौनपुर में कर रही है, लेकिन चुनावी राह इतनी आसान नहीं है? धनंजय सिंह ने अपने समर्थकों की बैठक में कहा कि चुनावी महासमर में वे तटस्थ नहीं रह सकते। उन्हें किसी न किसी तरफ तो रहना ही होगा। वैसे इस बार के लोकसभा चुनाव में विपक्ष जिस तरह से संविधान और आरक्षण बदलने की बात कह रहा है, उसे लेकर जमीनी स्तर पर अलग तरह का माहौल दलित-पिछड़ों में दिख रहा है। इतना ही नहीं, धनंजय के बीजेपी के समर्थन करने से उनके साथ जुड़े रहे मुस्लिम वोटरों के छिटकने का खतरा बन गया है। ऐसी स्थिति में मुंबई से सांसद बनने का सपना लेकर जौनपुर पहुंचे कृपाशंकर सिंह की राह आसान नहीं लग रही है।