– वायु गुणवत्ता नियंत्रण में प्रशासन की नाकामी?
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने ९ जुलाई के बाद बेकरी, रेस्तरां और भट्ठियों में लकड़ी और कोयला जलाने पर रोक लगाने का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस निर्देश को लागू करने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है?
उच्च न्यायालय ने डेढ़ साल पहले वायु गुणवत्ता में गिरावट पर संज्ञान लिया था और इस दिशा में प्रशासन से ठोस कदम उठाने की उम्मीद जताई थी। हालांकि, अब तक प्रशासन द्वारा की गई पहलें सवालों के घेरे में हैं। एमपीसीबी का यह आदेश दरअसल कागजों तक ही सीमित न रह जाए, यह तो समय ही बताएगा। ९ जुलाई के बाद बेकरी, रेस्टोरेंट और भट्ठियों के लिए नए लाइसेंस सीएनजी, गैस या हरित ईंधन के उपयोग की शर्त पर ही जारी किए जाएंगे, लेकिन क्या प्रशासन इसके लिए जमीनी स्तर पर काम कर पाएगा?
सभी नगर निगमों और नगर पालिकाओं को ९ जुलाई तक यह आदेश लागू करने के लिए कहा गया है, लेकिन क्या इन नगर पालिकाओं के पास पर्याप्त संसाधन हैं कि वे इस आदेश को सख्ती से लागू कर सकें? एमपीसीबी ने सभी निर्माण स्थलों पर इंटरनेट आधारित सेंसर लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन क्या यह तकनीकी उपाय प्रदूषण को वास्तविक रूप से कम कर पाएंगे?
सवाल यह है कि क्या प्रशासन केवल कागजी कार्यवाही में व्यस्त है या फिर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने में सही प्रयास कर रहा है? सरकार के इन निर्देशों का कितना असर होगा, यह देखना अब बाकी है।