मुख्यपृष्ठनमस्ते सामना"गलती व अनियमितता करें बैंक, खामियाजा भुगते आम ग्राहक"

“गलती व अनियमितता करें बैंक, खामियाजा भुगते आम ग्राहक”

खबरों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई बेस्ड न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर छह महीने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। अब बैंक के ग्राहक न तो पैसे निकाल सकते हैं और न ही कोई लेन-देन कर सकते हैं। बैंक में भारी अनियमितताओं की वजह से यह कदम उठाया गया, लेकिन इसका खामियाजा उन ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है, जिनकी जिंदगीभर की कमाई बैंक में फंसी है। ग्राहकों के हाल-बेहाल हैं। पिछले 10 सालों में 80 से अधिक बैंक बंद हो गए या मर्ज कर दिए गए। इस अनियमितता के खेल का शिकार आम ग्राहक होता है। खास व अमीर लोग तो खा-पीकर विदेश भाग जाते हैं, उनका कोई भी बाल तक बांका नहीं होता है। नियमों के मुताबिक, रिजर्व बैंक बैंकों को बैंकिंग सेवा की अनुमति देता है, तो उसका कर्तव्य भी बनता है कि ग्राहकों की जमा पूंजी बेरोकटोक के मिले।
यह जिम्मेदारी भी रिजर्व बैंक की है। गलती व अनियमितता बैंक करे और खामियाजा ग्राहक भुगते, यह कहां का न्याय है ? आज भी देश के लोगों को ईश्वर के बाद अगर भरोसा है तो बैंकों / एलआईसी पर। यह भरोसा बनाए रखने का काम सरकार व रिजर्व बैंक का है। अब यह कितना हास्यास्पद नियम है कि आपकी जमा पूंजी पांच लाख या उससे कम जमा है तो उतनी राशि मिल जाएगी, मगर पांच लाख से अधिक कितनी ही धनराशि जमा हो तो भी पांच लाख रुपए ही मिलेंगे। यह तो सरासर ग्राहकों पर कुठाराघात है, जो बैंकों पर भरोसा कर अपनी खून-पसीने की कमाई बैंकों में जमा करते हैं। बैंकों के प्रति लोगों को जो भरोसा व विश्वास है वह टूटना नहीं चाहिए। इसके लिए सरकार व रिजर्व बैंक को न केवल ग्राहकों को संबल देना होगा, बल्कि यह कटिबद्धता भी दिखाना होगी की आम ग्राहकों के साथ अन्याय नहीं होगा।
-हेमा हरि उपाध्याय, ‘अक्षत’,
खाचरोद , उज्जैन

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