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महाराष्ट्र धर्म की लड़ाई

विधानसभा चुनाव का प्रचार खत्म हो गया है। जिसके चलते पिछले पंद्रह दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल थम गई है। कुल मिलाकर मुकाबला महाविकास आघाड़ी और भाजपा नीत महायुति के बीच है। बाकी बीच में भाजपा स्पोंसर्ड सुपारी और चने-कुरमुरे उछल रहे हैं। सारा खेल पैसों का है। इसलिए ऐसा लगता है कि हमारे लोकतंत्र के साथ साफ तौर पर छेड़छाड़ की गई है। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह, उत्तर प्रदेश समेत भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों को छोड़कर महाराष्ट्र में डफली बजा रहे थे। उत्तर प्रदेश के झांसी में एक सरकारी अस्पताल में आग लग गई, जहां १२ नवजात शिशुओं की जलकर मौत हो गई, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री मुंबई में घूम-घूमकर ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे लगा रहे थे। इतना निर्घृण कार्य वह भी सिर्फ महाराष्ट्र पर कब्जा जमाने के लिए किया जा रहा है। मणिपुर में फिर हिंसा भड़क उठी है। चार महिलाओं को नग्न कर उनके साथ बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। मणिपुर में लोगों ने मंत्रियों के बंगले जला दिए, लेकिन प्रधानमंत्री, गृहमंत्री महाराष्ट्र और झारखंड के प्रचार में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस की आलोचना करते रहे। उनका नया नारा ‘एक हैं तो सेफ हैं’ उनकी कायरता का प्रमाण है। मणिपुर जाने और वहां हिंसा रोकने की ताकत और कूवत देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री में नहीं हैं और वे महाराष्ट्र में आकर हीरोगीरी दिखा रहे हैं। हां, महाराष्ट्र सुरक्षित है, आपके आने से यह अस्थिर और असुरक्षित होता जा रहा है। मोदी ने कहा, ‘राहुल गांधी शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के बारे में दो अच्छे शब्द बोलकर बताएं।’ इसके अगले ही दिन कोल्हापुर की एक रैली में प्रियंका गांधी ने मोदी को झूठा साबित कर दिया। ‘बालासाहेब ठाकरे का नाम लेकर, उनकी फोटो लगाकर वोट मांगते हो और उनके सुपुत्र की पीठ में छुरा घोंपते हो! बालासाहेब के लिए ये वैâसा प्रेम है?’ प्रियंका गांधी ने मोदी के ठाकरे प्रेम के मुखौटे को तार-तार कर दिया। शिवसेनाप्रमुख की पुण्यतिथि पर राहुल गांधी ने खुद बालासाहेब को श्रद्धांजलि देकर आदर व्यक्त किया। चुनाव प्रचार में मोदी-शाह का झूठ हर दिन उजागर होता गया। गुजरात के ऐरे गैरे नत्थू खैरों ने महाराष्ट्र में आकर गड़बड़ी मचा रखी है। यह विधानसभा चुनाव उसे खत्म करने के लिए है। महाराष्ट्र में बेईमान गद्दारों का शासन है। तीन साल पहले शिवसेना तोड़कर शिंदे सरकार लाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस सरकार को अवैध मानने के बावजूद ढाई साल तक बने रहने की इजाजत दे दी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, जिन्हें न्याय करना था, ‘तारीख पे तारीख’ का खेल खेलते रहे और अंतत: सेवानिवृत्त हो गए। विधानसभा का कार्यकाल भी समाप्त हो गया, लेकिन कोई न्याय नहीं हुआ। इसलिए गद्दारों का पैâसला जनता की अदालत में होगा। भाजपा और उनकी घाती सरकार के पास प्रचार के मुद्दे खत्म हो गए हैं। पैसे का अनाप-शनाप वितरण ही उनकी ताकत है। पिछले दस वर्षों से जाति और धर्म में दरार और तनाव पैदा कर चुनाव लड़ा जा रहा है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ मोदी का नारा था। उसकी जगह ‘वोट जिहाद’, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ ने ले ली। विकास के नाम पर ‘ठन ठन गोपाल’ भाजपा को ‘बंटेंगे’ और ‘वोट जिहाद’ जैसे विषयों को लेकर वोट के लिए बांग देनी पड़ रही है। देश में सभी जाति और धर्म के नागरिकों को वोट देने का अधिकार है। यही हमारे संविधान की ताकत है, लेकिन भाजपा संविधान की ताकत को कमजोर कर अपनी तानाशाही कायम करना चाहती है। जब मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया तो वह ‘वोट जिहाद’ नहीं था, लेकिन जब मोदी के व्यवहार से तंग आकर मुस्लिम, ईसाई, पारसी, जैन लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट हुए तो उसे ‘वोट जिहाद’ ठहरा दिया गया। लोकतांत्रिक ढंग से वोट देने वालों को निशाना बनाकर धर्मयुद्ध की भाषा का प्रयोग करने वाले देवेंद्र फडणवीस ने असल में महाराष्ट्र धर्म के साथ ही विश्वासघात किया। मोदी-शाह ने महाराष्ट्र को खुलेआम लूटा है। उद्योगपति मित्र अडानी की जेब में मुंबई डाल दी गई, लेकिन उसे खुली आंखों से देखते हुए मोदी की जय जयकार करने वाले फडणवीस-शिंदे को महाराष्ट्र धर्म का शत्रु कहना पड़ेगा। महाराष्ट्र में बेरोजगारों की फौज खड़ी है। किसानों की आत्महत्याएं जारी हैं। महाराष्ट्र की औद्योगिक और आर्थिक गिरावट जारी है। गुंडागर्दी, डवैâती, कोयता गिरोह का डर और महिलाओं के प्रति हिंसा चरम पर पहुंच गई है। शिवराय की मूर्ति भ्रष्टाचार के चलते ढह जाती है और उसी भ्रष्टाचार के पैसे से चुनाव लड़ा जाता है। मोदी-शाह महाराष्ट्र राज्य की साख और प्रतिष्ठा को खत्म करने वाली सरकार चला रहे हैं। महाराष्ट्र को ये सब पलटना होगा। प्रचार खत्म हुआ, कल मतदान होगा। यह महाराष्ट्र धर्म की लड़ाई है। महाराष्ट्र की जनता जागते रहिए! सावधान रहिए!

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