गजेंद्र भंडारी
क रणी सेना के प्रमुख राज शेखावत का मामला गरमाता जा रहा है। मंगलवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दिखाया गया है कि शेखावत की पगड़ी निकाल दी गई है। इसके बाद हंगामा हो गया। राजपूत समाज का कहना है कि पगड़ी उनकी शान होती है और ऐसा करके भाजपा ने ठीक नहीं किया है। इसकी सजा लोकसभा चुनाव में भाजपा को दी जाएगी। क्या वाकई इस बार भाजपा को राजपूतों की नाराजगी भारी पड़ सकती है? दरअसल, शेखावत भाजपा कार्यालय का घेराव करने गए थे, जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और इसी बीच किसी ने उनकी पगड़ी गिरा दी। वह गुजरात में भाजपा नेता के राजपूतों की महिलाओं के लिए दिए गए एक भाषण से खफा हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा के मंत्री ने कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद से पूरे राजस्थान के राजपूत लामबंद हो गए और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बार राजपूतों ने भाजपा के खिलाफ वोट करने की तैयारी की है।
सीएम भजनलाल का मंच पर बना मजाक
भाजपा नेताओं के अक्सर ऐसे बयान आते हैं, जो वायरल हो जाते हैं। हाल में हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से प्रत्याशी और एक्ट्रेस कंगना रनौत ने बयान दिया कि देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस कहां थे? इसके बाद उनका यह बयान वायरल हो गया और कंगना का खूब मजाक उड़ाया गया। हालांकि, बाद में भाजपा कंगना के बयान पर सफाई देने में जुट गई। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का एक वीडियो आया है, जिसमें वह कह रहे हैं कि मैं कहना चाहता हूं कि १९५१ में देश को आजादी मिली। हालांकि, शर्मा अपनी बात पूरी कर पाते, इससे पहले ही माइक बंद हो गया और उनकी बात अधूरी रह गई। इसके बाद उनका बयान चर्चा का विषय बन गया है और सोशल मीडिया पर लोग खूब मजे ले रहे हैं। खैर, लोगों की जुबान अक्सर फिसल जाया करती है इसलिए मंच पर जाने से पहले नेताओं को पूरी तैयारी करनी चाहिए, ताकि बाद में वे मजाक के पात्र न बन जाएं।
विवादित बयानों का फायदा या नुकसान
चुनाव के वक्त आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है। सामने वाले प्रत्याशी को नीचा दिखाने के लिए अनाप-शनाप बोला जाता है। यही नहीं, उम्मीदवार जीतने के लिए शाम-दाम-दंड-भेद हर तरकीब अपनाते हैं। राजस्थान झुंझनू से भाजपा के प्रत्याशी शुभकरण चौधरी का भी एक बयान सामने आया है। उन्होंने एक सभा में कहा कि जो हिंदू हैं, फिर भी पीएम नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देते हैं, तो वे देश के गुनहगार हैं, देशद्रोही हैं। उनके इस बयान पर विपक्ष कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है। यही नहीं, चुनाव आयोग से भी उनके इस बयान की शिकायत की गई है। दरअसल, आदर्श आचार संहिता के दिशा-निर्देशों के तहत इस तरह के बयान नहीं दिए जा सकते हैं। हालांकि, भाजपा नेताओं की तरफ से लगातार ऐसे बयान सामने आ रहे हैं। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस तरह के बयान देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है और आगे ऐसा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।