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राजस्थान का रण : सरकार ने नहीं दिया कोई जवाब

गजेंद्र भंडारी

गुरुवार को राजस्थान में बजट सत्र के दूसरे दिन की चर्चा हंगामेदार रही। मदन दिलावर के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इससे पहले हंगामे की शुरुआत शून्यकाल के दौरान ही हो गई थी, जब शिव के निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी के सवाल पर कोई मंत्री जवाब देने के लिए खड़ा नहीं हुआ। दरअसल, रविंद्र सिंह भाटी ने शून्यकाल के दौरान सरकार से एक सवाल पूछा। सवाल उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा था, लेकिन इस सवाल का जवाब रविंद्र भाटी को नहीं मिल सका। इस पर जब विपक्ष ने नारेबाजी शुरू की तो संसदीय कार्यमंत्री जवाब देने को उठे, लेकिन जब तक मंत्री भाटी के सवाल का जवाब देते, तब तक प्रश्नकाल का समय समाप्त हो चुका था। भाटी ने सवाल पूछा था कि शिव में राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल की ओर से २०१८-१९ सीएसआर फंड के तहत कितनी राशि स्वीकृत की गई? इसके साथ ये भी पूछा था कि स्थानीय निवासियों में कितने लोगों के स्वास्थ्य परीक्षण किए गए? कितनी बीमारियों की राशि की दवाइयां नि:शुल्क वितरित की गई? लेकिन रवींद्र सिंह भाटी के सवाल के जवाब में जब कोई मंत्री नहीं खड़ा हुआ तो विपक्ष ने हंगामा किया।
पक्ष-विपक्ष दोनों आमने-सामने
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस ने जमकर हल्ला मचाया। इस दौरान हंगामे के बीच बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एक-दूसरे के सामने हो गई। दोनों ही दलों ने जमकर नारेबाजी की। हंगामा बढ़ते देखकर स्पीकर वासुदेव देवनानी को आधे घंटे तक विधानसभा स्थगित करनी पड़ी। इस बीच सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस ने अपने तीखे तेवर अपनाए। वहीं खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने भी नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर बड़ा तंज कसा। उन्होंने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस जूली को अपना नेता नहीं मानती है। ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत और वैर विधायक बहादुर सिंह कोली ने बीते दिनों बयान दिया था कि अफसर जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनते हैं। इस बयान को साधते हुए जूली ने भजनलाल सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि बारां जिले के समीपवर्ती इलाके किशनगंज में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।

किरोड़ीलाल मीणा का छलका दर्द
राजस्थान में लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से विपक्ष वैâबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा पर हमलावर था। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्प्रâेंस कर पूछा कि अब किरोड़ी इस्तीफा कब देंगे? इधर मीणा के इस्तीफे को लेकर गाहे-बागाहे बयानबाजियां होती रहीं। आखिरकार, गुरुवार को राजस्थान के कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफे का एलान कर दिया। अचानक ऐसा क्या हुआ कि चुनाव परिणाम के बाद इस्तीफे पर लंबी चुप्पी के बाद मीणा ने ऐसा किया। इस पूरे मामले पर मीणा ने कहा कि मुझे दिल्ली बुलाया गया है। मैं जाऊंगा। उनको संतुष्ट करूंगा कि मैं नाकामयाब रहा। पार्टी को जिता नहीं सका। मैंने वचन दिया था कि अगर पार्टी नहीं जीती तो मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती थी कि मैं पार्टी से इस्तीफा दे दूं। जब मेरी पार्टी दौसा में नहीं जीती तो मैंने मुख्यमंत्री जी से मिलकर आग्रह किया पर, उन्होंने इस्तीफा स्वीकार करने से मना कर दिया। उन्होंने पूरी तरह से इस्तीफा ठुकरा दिया था।

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