मुख्यपृष्ठनए समाचारराजस्थान का रण: महेंद्रजीत सिंह की धड़कन बढ़ी

राजस्थान का रण: महेंद्रजीत सिंह की धड़कन बढ़ी

गजेंद्र भंडारी

आज बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा चुनाव के लिए होने वाली मतगणना के दौरान यदि किसी का दिल सबसे अधिक धड़क रहा होगा, तो वो हैं कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए महेंद्रजीत सिंह मालवीय की। करीब ४० साल तक जिले की राजनीति में एक छत्र राज करने वाले और कांग्रेस की सबसे बड़ी सीडब्ल्यूसी के सदस्य रहे और कई बार मंत्री रहे मालवीय की भविष्य की राजनीति इस लोकसभा चुनाव के परिणामों पर निर्भर करेगी। मालवीय ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी हार का सामना नहीं किया है। ऐसे में देखना होगा कि चार जून की दोपहर उनके राजनीतिक जीवन का क्या पैâसला करेगी। भाजपा प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीय के सामने खुद के तो चुनाव जीतने की परीक्षा है ही, वहीं उनके द्वारा खाली की गई बागीदौरा विधानसभा उप चुनाव में उनके समर्थक भाजपा प्रत्याशी सुभाष तंबोलिया की जीत या हार का सेहरा भी उनके ही सिर पर सजेगा। ऐसे में जहां उन्हें खुद की जीत के साथ साथ सुभाष तंबोलिया की जीत के लिए भी कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। मालवीय को भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत से लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर मिली है, जिसके चलते मालवीय की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सभा करनी पड़ी। मालवीय यदि लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करते हैं तो निश्चित रूप से उनका कद राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जाएगा। ऐसी संभावना जताई जा रही है। वहीं उपचुनाव के प्रत्याशी सुभाष तंबोलिया को जीत हासिल होगी तो उनका भी कद प्रदेश की राजनीति में बढ़ेगा।

दल-बदल का किसे मिलेगा फायदा?

राजस्थान की २५ लोकसभा सीटों में से नागौर लोकसभा सीट काफी अहम है। इस सीट पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और बीजेपी की ज्योति मिर्धा के बीच सीधा मुकाबला है। कम मतदान होने की वजह से सीट पर काफी गहमागहमी है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इस बीच, एग्जिट पोल के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। नागौर सीट से भारतीय जनता पार्टी की ज्योति मिर्धा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से हनुमान बेनीवाल, बहुजन समाज पार्टी के डॉ. गजेंद्र सिंह राठौड़, अभिनव राजस्थान पार्टी से डॉ. अशोक चौधरी, राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी (सेक्युलर) से हनुमान सिंह कालवी मैदान में हैं। वहीं अमीन खान, प्रेमराज खारड़िया, राजकुमार जाट और हरिराम निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। इन सभी प्रत्याशियों की किस्मत का पैâसला आज होगा। नागौर लोकसभा सीट पर दिलचस्प बात यह है कि पिछले बार के चुनाव में यहां से ज्योति मिर्धा कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। अब वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, वहीं हनुमान बेनीवाल पिछली बार बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर आरएलपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन २०२४ के चुनाव में यह मामला बिल्कुल उलट है। इस बार नागौर सीट से हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे थे।

अशोक गहलोत का ‘वैभव’

लोकसभा चुनावों के परिणामों का सभी देशवासियों को बेसब्री से इंतजार है। ऐसे में लोकसभा प्रत्याशियों की किस्मत का ताला मंगलवार को खुलने जा रहा है। इसी कड़ी में जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की टक्कर भाजपा के लुंबाराम चौधरी से है। दोनों ही प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं। अब देखना होगा कि चुनाव के नतीजे क्या रहने वाले हैं? जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र से दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव खास है, क्योंकि भाजपा ने जहां पर चौधरी बहुल को जिताने के लिए नए चेहरे के रूप में लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा। वहीं कांग्रेस ने यहां माली और स्थानीय एससी-एसटी वोटर को रिझाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को टिकट दिया। विधानसभावार बात करें तो कांग्रेस सांचौर और रानीवाड़ा में भाजपा की तुलना में काफी मजबूत नजर आ रही है, जबकि भाजपा सिरोही जिले में स्थानीय प्रत्याशी होने के कारण मजबूत है। चुनावी इतिहास की बात करें तो पिछले तीन लोकसभा चुनावों में भाजपा यहां पर विजयी रही है। देवजी पटेल यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे, जिसकी वजह से कांग्रेस को लंबे समय से जीत का इंतजार है।

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