गजेंद्र भंडारी
राजस्थान में २५ लोकसभा सीटों के नतीजे आ गए हैं। राजस्थान में बीजेपी को १४, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को ११ सीटें मिली हैं। इस चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया। वैसे इस चुनाव में कई बड़े चेहरे चुनाव नहीं जीत सके। इनमें से एक सीट जालौर-सिरोही की भी है, जहां से कांग्रेस के प्रत्याशी वैभव गहलोत चुनाव हार गए। वैभव की यह लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी हार है। इस हार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए हरीश चौधरी ने कहा कि जालौर के नतीजे से मैं स्तब्ध हूं, वे २५ वर्षों से हम लोगों के सबसे कद्दावर नेता रहे हैं। मारवाड़ और राज्य की राजनीति का नेतृत्व किया है, लेकिन जालोर वालों ने उनको हराया। मैं बड़ा स्तब्ध हूं। जालौर में वैभव गहलोत की हार पर सचिन पायलट ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारे कुछ साथी हारे हैं। वैभव भी पिछली बार और इस बार जीत नहीं पाए थे। पायलट ने कहा कि हम आगे और मेहनत करेंगे और अगली बार किसी और सीट से वैभव जीतेंगे। जालौर-सिरोही लोकसभा चुनाव २०२४ के नतीजे में बीजेपी के लुंबाराम चौधरी ने २,०१,५४३ वोटों के बड़े अंतर से कांग्रेस के वैभव गहलोत को हरा दिया। इस सीट पर बेटे वैभव के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके पूर्व सीएम अशोक गहलोत को निराशा हाथ लगी है। वैभव गहलोत को ५,९५,२४० वोट मिले तो लुंबाराम चौधरी को ७,९६,७८३ वोट मिले हैं। यह सीट अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थी, लेकिन बेटे की हार ने उन्हें ठेस पहुंचाई है।
बेनीवाल की नाराजगी दूर
इंडिया बैठक में शामिल न किए जाने से नाराज हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वो एनडीए के साथ भी नहीं जाएंगे। उन्होंने किसी कांग्रेसी नेता का फोन न आने पर कहा कि मुझे बधाई देने के लिए कई नेताओं ने फोन किया, इनमें सचिन पायलट, गहलोत, मुकुल वासनिक समेत कई नेता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मुझे बाद में मल्लिकार्जुन खड़गे का फोन आया था। उन्होंने कहा कि हम भूल गए। आगे से आपको बैठकों में बुलाया जाएगा। वहीं सचिन पायलट ने भी जालोर में कहा कि बेनीवाल कहीं नहीं जा रहे हैं। बेनीवाल ने नागौर से जीत दर्ज की है। ये वही सीट है, जिस पर बीजेपी अपनी जीत का दावा कर रही थी। यहां पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही थी। यहां बीजेपी ने ज्योति मिर्धा बेनीवाल के विरोध में खड़ी थीं, लेकिन बेनीवाल ने इस सीट पर जीत दर्ज कर मिर्धा को करीब ४० हजार वोट से हरा दिया। बेनीवाल ने इसको जीतने के लिए काफी मेहनत की है। ऐसे में उन्हें मीटिंग में न बुलाए जाने का बुरा तो लगना ही था। हालांकि, बाद में उन्हें तमाम नेताओं के फोन गए हैं और उन्होंने बेनीवाल को मनाने की पूरी कोशिश की है। बताया जा रहा है कि अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फोन जाने के बाद से अब उनकी नाराजगी दूर हो गई है। खैर, राजनीति में रूठना-मनाना तो चलता ही रहता है। फिलहाल, नेताओं को टूटने से बचाना ही बड़ी चुनौती है।
४०० पार का
नारा ही मुसीबत
प्रदेश में १४ सीटों पर बड़ा नुकसान झेलने वाली बीजेपी के भीतर अब चुनाव परिणाम को लेकर समीक्षा की बात भी कही जा रही है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद यह हार ना सिर्फ बीजेपी के लिए झटका है, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए भी परेशानी बढ़ाने वाली है। इसे लेकर अब वैâबिनेट मंत्री झाबर सिंह खर्रा का बयान भी आ गया है। खर्रा ने बीजेपी की हार को लेकर बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि ४०० पार के नारे को लेकर विपक्ष ने भ्रम ़पैâलाया और हम उसे दूर नहीं कर पाए। साथ ही उन्होंने टिकट वितरण में गलतियों और किसानों के मुद्दों को हार का कारण बताया। पार्टी की हार स्वीकार करते हुए खर्रा ने कहा है कि यह आत्मचिंतन का समय है और हार के कारणों पर केंद्रीय नेतृत्व विचार करेगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद एनडीए सरकार बनने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इस बार बीजेपी बहुमत से दूर रह गई तो देश ही नहीं, राजस्थान में भी हलचल तेज हो गई है। अब प्रदेश भर में २५ लोकसभा सीटों पर एकतरफा जीत का सपना देखने वाली भारतीय जनता पार्टी की करारी हार की चर्चा हो रही है।