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राजस्थान का रण: अब मतगणना का इंतजार

गजेंद्र भंडारी

लोकसभा चुनाव २०२४ की मतगणना ४ जून को होगी। इसके लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। महज ७२ घंटे का समय बचा है और इसके बाद जोधपुर में कौन सांसद होगा और सरकार को कौन चलाएगा इसके लिए जीत-हार का गणित लगना शुरू हो चुका है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने तरीके से फिर से फीडबैक लेने में जुट गई है। इस बार लोकसभा क्षेत्र के सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में जो मतदान प्रतिशत घटा है, उसका असर भी सामने आएगा। पिछली बार की तुलना में मतदान प्रतिशत कम होना, नए समीकरण की ओर इशारा करता है। हालांकि, दोनों ही पार्टियां अपने-अपने जीत के दावे कर रही हैं, लेकिन राजनीतिक भविष्य जो जनता ने ईवीएम में दर्ज किया है, वह ४ जून को ही खुलेगा। सुबह ८ बजे पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में शुरू होगी। शुरुआत के एक घंटे में डाकमत पत्रों को गिना जाएगा। इसके बाद रुझान आने शुरू होंगे। तीन घंटे में हार-जीत की स्थिति काफी हद तक क्लीयर हो जाएगी। पोकरण, फलोदी, लोहावट, शेरगढ़ जैसे विधानसभा क्षेत्रों में मतदान ४ से ६ प्रतिशत तक घटा। इन तीनों ही स्थानों पर भाजपा के विधायक हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों वाले विधानसभा क्षेत्र जैसे जोधपुर, सूरसागर व सरदापुरा शामिल हैं, वहां मतदान घटा, लेकिन तुलनात्मक कम। ऐसे में दो भागों में मतदाता बंटे नजर आए थे।

राजस्थान में बीजेपी को कितना नुकसान

देश में लोकसभा चुनाव के आखिर चरण का मतदान हो रहा है। इसी दौरान फलोदी सट्टा बाजार से ताजा आंकड़ें जारी हुए हैं। राजस्थान में २ चरणों की वोटिंग के बाद ४ जून को नतीजे जारी होंगे, लेकिन उससे पहले फलोदी सट्टा बाजार के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया है। ऐसे में राजस्थान को लेकर हर कोई जानना चाहता है कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की स्थिति वैâसी रहने वाली है। बीजेपी को कितनी सीटों पर नुकसान होगा। आज शाम ६ बजे एग्जिट पोल भी जारी होगा। अब देखना होगा कि क्या फलोदी का आंकड़ा सही बैठता है या नहीं। फलोदी बाजार के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी बाड़मेर, झुंझुनूं, सीकर, चूरू हार सकती है, इन सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत बताई गई है तो नागौर और टोंक में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर बनी हुई है। कुल मिलाकर इस बार मामला काफी पेंचीदा हैं और फलोदी सट्टा बाजार से लेकर तमाम सट्टा बाजारों ने बीजेपी को नुकसान बताया है। सरकार किसकी बनेगी और अंतिम नतीजे क्या होंगे, यह तो ४ जून को ही पता चलेगा।

यहां बढ़ा सियासी पारा

लोकसभा चुनाव में राजस्थान की ही नहीं, बल्कि देश की ‘सुपर हॉट सीट’ बाड़मेर का चुनावी नतीजा अब बस एक दिन के बाद यानी ४ जून को सभी के सामने होगा। लेकिन इस नतीजे से ऐन पहले क्षेत्र का सियासी पारा एक अन्य कारण से गर्माया हुआ है। मामला बाड़मेर केंद्रीय कारागृह में एक बंदी की संदिग्ध मौत से जुड़ा है। एक बंदी का मौत प्रकरण अचानक से जातिवाद की राजनीति में तब्दील हो गया है। दरअसल, संदिग्ध मौत प्रकरण सामने आने के बाद शिव विधायक व लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने मौके पर पहुंचकर जेल प्रबंधन के खिलाफ धरना दिया। मृतक बंदी के परिजनों के समर्थन में वे कुछ मांगों को लेकर रात भर धरनास्थल पर ही डटे रहे। आखिरकार जेलर को निलंबित करने और चिकित्सक को एपीओ करने की कार्रवाई हुई। इधर, इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बायतु विधायक हरीश चौधरी उतर आए हैं। उन्होंने सरकार के निर्देश पर जेल प्रबंधन की कार्रवाई का खुलकर विरोध जताया और इसे जातीय द्वेष भावना पूर्वक कार्रवाई बताया है। बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बाड़मेर जेल में हुई वैâदी की मौत के मामले में हमने इस प्रकरण की न्यायिक जांच करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन बाड़मेर जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी जांच पड़ताल के जातीय द्वेष भावनापूर्वक जेलर और चिकित्सक के खिलाफ जो कार्रवाई करना दुर्भाग्यपूर्ण व असहनीय है।

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