मुख्यपृष्ठराजनीतिराजस्थान का रण : राष्ट्रीय नेता बन गए हैं सचिन पायलट

राजस्थान का रण : राष्ट्रीय नेता बन गए हैं सचिन पायलट

गजेंद्र भंडारी

इन दोनों राजस्थान कांग्रेस पार्टी में सबसे ज्यादा सक्रिय भूमिका में सचिन पायलट हैं। सचिव लगातार दौड़-धूप कर रहे हैं और कांग्रेस के समर्थन में माहौल बना रहे हैं। सचिन का क्रेज इस कदर है कि किसी भी नेता की रैली से ज्यादा भीड़ सचिन की सभा में होती है। वह राजस्थान में युवाओं की पहली पसंद बन गए हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अब तक किसी भी कांग्रेसी नेता से ज्यादा सभाएं की हैं। सिर्फ राजस्थान में ही नहीं छत्तीसगढ़ और कश्मीर से कन्याकुमारी तक वह सभाएं कर चुके हैं। उन्हें सुनने के लिए खूब भीड़ आ रही है। सचिन की लोकप्रियता बढ़ रही है। दरअसल, माना जा रहा है कि वह राजस्थान में अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। अगर उनकी मेहनत रंग लाती है और कांग्रेस अच्छी सीटें जीतती है, तो अगली बार वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। यही वजह है कि सचिन जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं और राजस्थान में किसी भी कीमत पर कांग्रेस को कम से कम १० सीटें दिलाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कम वोटिंग का किसे होगा नुकसान
इस बार राजस्थान में करीब २० विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां सबसे कम वोटिंग हुई है। इनके विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी विधायक हैं। ये विधानसभा सीटें ११ लोकसभा सीटों को प्रभावित करेंगी। कांग्रेस ने दावा किया है कि कम वोटिंग, बीजेपी के प्रति जनता के मन में जो गुस्सा है, उसे जाहिर करती है। कम वोटिंग से पता चलता है कि यहां न तो जनता विधायकों के काम से खुश है और न मोदी के काम से खुश है। ऐसे में इन ११ लोकसभा सीटों पर बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य मुद्दों को छोड़कर जाति और धर्म की राजनीति कर रहे हैं और अब जनता इस सबसे ऊब चुकी है। उसे महंगाई कम करने वाली, रोजगार देने वाली और देश में अमन लाने वाली सरकार चाहिए। जनता अब जुमलों से बोर हो गई है और मोदी पर से जनता का भरोसा पूरी तरह से उठ गया है।
पहले चरण की हार-जीत पर सट्टा
इस बार का चुनाव २०१४ के चुनाव से भी ज्यादा दिलचस्प हो गया है। २०१४ में पहले से ही साफ था कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनेगी, क्योंकि साफतौर पर मोदी लहर थी। लोग बदलाव चाहते थे। यही वजह है कि देश में बड़ा परिवर्तन हुआ और भाजपा सत्ता में आ गई। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार मोदी लहर दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है। इस बार कुछ भी हो सकता है। सब अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन कौन जीतेगा यह नहीं कहा जा सकता। राजस्थान की पहली १२ सीटों पर हुए मतदान पर तो सट्टा तक लग रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस बार इन १२ सीटों के लिए सट्टा चल रहा है। कोई कांग्रेस की जीत पर सट्टा लगा रहा है, तो कोई भाजपा की जीत पर। इससे साबित होता है कि इस बार मामला एकतरफा नहीं है। कुछ भी हो सकता है। इस बार भाजपा नेताओं के माथे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं। परिणाम तो ४ जून को ही पता चलेगा, तब तक कयास लगाते रहिए।

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