-अध्ययन में सामने आई जानकारी
सामना संवाददाता / मुंबई
पूजा के दौरान या खुशनुमा माहौल बनाने के लिए हम रोजाना घर में अगरबत्ती जलाते हैं। कोई भी हिंदुस्थानी पूजा भगवान के सामने अगरबत्ती जलाए बिना पूरी नहीं होती है। इसे लेकर किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि अगरबत्ती का धुआं सिगरेट के धुएं जितना ही खतरनाक हो सकता है। अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं शरीर में चला तो जाता है, लेकिन वह ५० सिगरेट के पीने के बराबर होता है। इसके साथ ही यह नौनिहालों की हेल्थ को भी खराब कर सकता है।
चीन के कुछ वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार, हिंदुस्थान में लोग अपने घरों में सिगरेट के धुएं से भी अधिक खतरनाक सांस ले रहे हैं, जिससे वैंâसर हो सकता है। दक्षिण चीन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा दो सबसे सामान्य प्रकार की अगरवुड और चंदन की अगरबत्ती पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इसका उपयोग करने की यह दैनिक परंपरा स्वास्थ्य के लिए फायदे की तुलना में कहीं अधिक नुकसान पहुंचाती है। द क्विंट के शोधकर्ताओं ने पाया कि अगरबत्ती का धुआं म्यूटेजेनिक कोशिका स्तर पर डीएनए परिवर्तन का कारण बनती है। जीनोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक इतना जहरीला होता है कि यह आपकी कोशिकाओं को मार देता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय तक अगरबत्ती के संपर्क में रहने से ऊपरी श्वसन पथ के वैंâसर का खतरा बढ़ सकता है।
स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
अगरबत्ती के धुएं में हानिकारक कण और वाष्पशील पदार्थ होते हैं। इस धुएं से निकलने वाले प्रदूषक फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाले वायु मार्गों में सूजन पैदा करते हैं। इससे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा हो सकता है। इसके अलावा इस हानिकारक धुएं की उच्च सांद्रता माइग्रेन, सिरदर्द और मनोभ्रंश सहित तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। इसलिए अगरबत्ती जलाते समय याद रखें कि ये कार्बन मोनोऑक्साइड सहित गंभीर इनडोर वायु प्रदूषण का कारण बनता है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।