मुख्यपृष्ठनए समाचारदेखना, कहीं ‘बाउंस’ न हो जाए, चेक से भुगतान लेना संभलकर!

देखना, कहीं ‘बाउंस’ न हो जाए, चेक से भुगतान लेना संभलकर!

– महाराष्ट्र की अदालतों में ५,८९,८३६ मामले हैं लंबित
– चेक बाउंस के मामले में दूसरे नंबर पर है महाराष्ट्र
सामना संवाददाता / मुंबई
अगर आप किसी से चेक के माध्यम से पेमेंट ले रहे हैं तो काफी सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि बड़ी संख्या में चेक बाउंस हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय अदालतों में चेक बाउंस के लाखों केस पेंडिंग पड़े हैं। इनमें राजस्थान पहले और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है।
देशभर की विभिन्न अदालतों में गत १८ दिसंबर तक चेक बाउंस के ४३ लाख से अधिक मामले लंबित हैं। राजस्थान में सबसे ज्यादा ६.४ लाख मामले लंबित हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है। ट्रैफिक चालान और चेक बाउंस के मामले मिलकर अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या बनाते हैं। दरअसल, चेक बाउंस के मामले सामान्य अदालतों में निपटाए जाते हैं क्योंकि ये आपराधिक प्रकृति के होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में २० दिसंबर को संसद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि चेक बाउंस के मामलों में देरी के कई कारण हैं। इनमें बार-बार स्थगन, मामलों की निगरानी और सुनवाई के लिए समुचित व्यवस्था की कमी और विभिन्न मामलों के निपटारे के लिए समय सीमा का अभाव शामिल हैं। ये समस्याएं मामलों के निपटारे में बड़ी बाधा बनती हैं। कानून मंत्री ने यह भी बताया कि अदालतों में मामलों के निपटारे की गति कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें भौतिक बुनियादी ढांचा, अदालत का सहायक स्टाफ, मामलों की जटिलता, साक्ष्यों का प्रकार, गवाहों और पक्षकारों का सहयोग और नियमों व प्रक्रियाओं का सही अनुपालन शामिल हैं। चेक बाउंस के मामलों में देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने १० मार्च, २०२१ को एक १०-सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति का उद्देश्य इन मामलों के त्वरित निपटारे के लिए आवश्यक कदमों का अध्ययन करना था।

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