सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव २०२४ से पहले युवाओं को आकर्षित करने के लिए सरकार ने लाडकी बहन योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर हर महीने ६,००० से १०,००० रुपए देने का वादा किया गया था। अब इस योजना में भारी घोटाले का खुलासा हुआ है। नाशिक की मराठा विद्या प्रसारक शिक्षा संस्था के कर्मचारियों के खातों में बेरोजगार युवाओं के नाम पर पैसे जमा किए गए। इस घोटाले के उजागर करने के बाद राज्य सरकार ने इसकी गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।
योजना के तहत १८ से ३५ वर्ष के बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर देना था, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने जिले की प्रतिष्ठित मराठा विद्या प्रसारक संस्था से संपर्क किया। संस्था को बेरोजगार युवाओं की सूची देनी थी, लेकिन इसके बजाय संस्था ने पहले से काम कर रहे हजारों कर्मचारियों के नाम सरकार को भेज दिए। इसके चलते सरकारी योजना के मूल उद्देश्य पर ही पानी फिर गया और नियमों का उल्लंघन हुआ। जब यह मामला सामने आया तो संस्था के संचालकों ने सारी जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर डाल दी। संस्था का कहना है कि उन्हें केवल कर्मचारियों की सूची देने के लिए कहा गया था और पात्र लाभार्थियों की जांच करना सरकार की जिम्मेदारी थी।
मामला दर्ज करने की मांग
घोटाले का खुलासा होने के बाद संस्था के सचिव नितीन ठाकरे ने कहा कि उनके कर्मचारियों के खातों में जमा हुई राशि वे सरकार को लौटाने के लिए तैयार हैं। इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी की पदाधिकारी अमृता पवार ने संस्था के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और संचालकों पर मामला दर्ज करने की मांग की है। अमृता पवार ने इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने की भी योजना बनाई है। इससे कौशल विकास रोजगार विभाग के अधिकारियों और मराठा विद्या प्रसारक संस्था के संचालकों की मुश्किलें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।