सामना संवाददाता / मुंबई
बोरीवली स्थित भगवती अस्पताल में गोरेगांव से लेकर पालघर तक से गरीब नागरिक इलाज के लिए आते हैं। अगर इस अस्पताल का निजीकरण होता है तो गरीब मरीजों के लिए इलाज की लागत वहन करना मुश्किल हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कल मनपा आयुक्त से मुलाकात की। इस दौरान मनपा आयुक्त सकारात्मक दिखे, उन्होंने आश्वासन दिया कि भगवती अस्पताल को निजी हाथों में कतई नहीं दिया जाएगा।
बता दें कि मनपा द्वारा संचालित नौ मंजिला ४९० बेड वाला भगवती अस्पताल निजी हाथों में न चला जाए, इसके लिए कल विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के नेतृत्व में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रतिनिधिमंडल ने मुंबई मनपा आयुक्त भूषण गगराणी से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने भगवती अस्पताल समेत मुंबई के अन्य अस्पतालों के हालातों से आयुक्त को अवगत कराया। साथ ही यह भी बताया कि भगवती अस्पताल पूरी तरह से शुरू न होने से मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराने जा रहे हैं, जहां उनका शोषण किया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल में ये थे शामिल
बैठक में शिवसेना के पूर्व विधायक विनोद घोसालकर, विधायक सुनील प्रभु, विधायक मिलिंद नार्वेकर, विधायक सचिन अहिर, विधायक जेजी अभ्यंकर, विधायक हारून खान, विधायक महेश सावंत, विधायक मनोज जामसुतकर, विधायक बाला नर, कांग्रेस विधायक भाई जगताप, पूर्व विधायक विलास पोतनीस, पूर्व महापौर श्रद्धा जाधव, कांग्रेस के मुंबई उपाध्यक्ष संदेश कोंडविलकर, विभागप्रमुख व पूर्व नगरसेवक उदेश पाटेकर, पूर्व नगरसेविका संजना घाडी आदि मौजूद थे।
निजी संस्थाओं को सौंपने की साजिश
वर्ष २०१० में जनप्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के बावजूद अभी तक अस्पताल का काम पूरा नहीं हुआ है। मुंबई मनपा ने भगवती अस्पताल के नवीनीकरण के लिए ३२० करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था, लेकिन प्रशासन की ओर से काम पूरा करने में देरी की जा रही है। जनप्रतिनिधियों ने वर्ष २००६ से वर्ष २००९-१० के बीच लिए गए निर्णयों को लागू न करके मनपा के इस अस्पताल को निजी संस्थाओं को सौंपने की साजिश की ओर इशारा किया। कुछ निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए मनपा प्रशासन द्वारा इस अस्पताल के निजीकरण का निर्णय लिया गया है, जो कि गंभीर मामला है।