मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : हमरा केतना बध अउर होई?

भोजपुरिया व्यंग्य : हमरा केतना बध अउर होई?

प्रभुनाथ शुक्ल भदोही

अबकी बेर रावण लंका में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के प्रेस कॉन्प्रâेंस बोलवले बाड़न। आ आपन कामना जतवले बाड़न कि एह साल दशहरा का दिने श्रीराम के हाथे उनकर मौत ना होखे। ई खबर दुनिया में जंगल के आग के तरह फइल गइल बा। सोशल मीडिया आ टीवी चैनलन पर बहस शुरू हो गइल बा।
रामजी के भेजल व्हाट्सएप अवुरी मेल संदेश में रावण साफ-साफ कहले बाड़े कि भगवान, त्रेता से हमरा बध करत कलयुग पहुंच गईल। पांच हजार साल से कलियुग में भी मारत बाड़े। लेकिन ई बार हमनी के दशहरा प मरला के इरादा छोड़ देले बानी। रावण कहले बा कि हम केतना बेर मरब भगवान। मरत-मरत हमनी थक गईल बानी।
रावण के एह संदेश से पूरा दुनिया में दहशत मचल बा आ मंथन चलत बा, जबकि रामजी रावण के हड़ताल के जायज ठहरवले बाड़े। मीडिया के ओर से पूछल गईल सवाल में रामजी कहले बाड़े कि रावण के बात एकदम जायज अवुरी लोकतांत्रिक बा। श्रीराम के एह बयान से विष्णुलोक अचंभित बाड़े। जबकि लंका में एकरा के श्रीराम के समदर्शी न्याय बतावल गईल बा।
देवलोक के मीडिया एह खबर के क्रांतिकारी कह के ब्रेकिंग चलावत बा। देवलोक के वरिष्ठ पत्रकार नारदजी एक-एक करके सगरी टीवी चैनलन पर बहस कर सफाई दे रहल बाडे। देव आ दैत्यलोक के विश्लेषक अपना तरीका से ई खबर क विश्लेषण कर रहल बाड़े। रामजी रावण के बात के समर्थन करे के कारण मीडिया में खोजल जाता। जहां रावण के लंका में इ जश्न मनावल जाता, उहें विभीषण चिंतित बाड़े।
देवलोक के इमरजेंसी मीटिंग में रामजी बहुत खिसियाइल लउकत रहले। उ कहले बाड़े कि रावण के विचार जायज अवुरी लोकतांत्रिक बा। उनकर बयान तार्किक बा। उ सीता के एक बेर ही अपहरण कईले रहले। बाकि मर्यादा पूर्वक अशोक वाटिका मे रखे रहले। सिर्फ एक गलती के सजा हमनी त्रेता से लेइके कलियुग तक दे तानी। जबकि इहां सीता के रोज अपहरण हो रहल बा। रोज जरावल जाला। रोज वस्त्र हरण होखेला। ओह घरी रावण अकेले रहे, अब लाखों हो गइल बा। श्रीराम जी के भेजल संदेश में रावण साफ-साफ लिखले बाड़े प्रभुजी! पहिले हर मन घर में बईठल ओह लाखों रावण के मार, फेर हमरा बारे में सोची।

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