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भोजपुरी तड़का फेल आजमगढ़ तो गयो?

जय सिंह
तमसा नदी के तट पर बसा पूर्वी भाग में बसा एक ऐतिहासिक स्थान यह जिला मऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, सुल्तानपुर, जौनपुर और आंबेडकर नगर से लगा हुआ है। आजमगढ़ में सबसे बड़ी बात जो है, वो ये है कि यहां पर किसी भी विधानसभा सीट पर भाजपा का कोई भी उम्मीदवार नहीं है। इस सीट को उत्तर प्रदेश की ८० सीटों में पूर्वांचल की सबसे हॉट सीट माना जाता है। ८० सीटों के आकलन में यह पहली ऐसी सीट है, जिसको भाजपा की झोली से निकलता हुआ साफ दिख रहा है।
इस सीट पर भी भाजपा ने विकास कार्य को दरकिनार कर भोजपुरी स्टारडम का सहारा लिया है। यह सीट उपचुनाव में भाजपा की झोली में चली गई थी। यहां से सांसद हैं भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता और गायक दिनेशलाल यादव जो निरहुवा के नाम से जाने जाते हैं। इस बार फिर से उन्हीं को उम्मीदवारी दी गई है। आश्चर्य की बात तो ये है कि उपचुनाव में दिनेश लाल यहां से मात्र ८ हजार ७०० वोट से जीते थे। इसके पहले इस सीट पर चाहे मुलायम सिंह यादव लड़े हों या अखिलेश यादव भाजपा के हारने का मार्जिन ३ लाख से अधिक वोटों का रहता था। अखिलेश यादव ने जब यह सीट छोड़ी, तब यहां हल्का सा माहौल बदला लेकिन भोजपुरी अभिनेता का कोई जादू नहीं चला। उपचुनाव में जो इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की उसका सबसे बड़ा कारण था सपा का बागी उम्मीदवार गुडू जमाली। यहां पर यादव समाज और मुश्लिम समाज निर्णायक मतदाता हैं, जिसका आकलन इसी से किया जा सकता है कि यहां पर पिछले १४ बार हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ यादव समाज का ही प्रत्याशी सांसद बना है। भाजपा यहां अगर जीती भी है तो यादव उम्मीदवार देकर ही। यहां से कई बार रमाकांत यादव सांसद रहे हैं। लोग कहते हैं कि जब २०१४ और २०१९ में मोदी की प्रचंड लहर थी, तब भी भाजपा को यहां से करारी हार का मुंह देखना पड़ा था। १९६२ से इस सीट पर मुसलमान या यादव उम्मीदवार का ही कब्जा रहा है। उपचुनाव के पहले मात्र एक बार इस सीट पर भाजपा को जीत मिली है। इससे पहले २००९ में रमाकांत यादव भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत चुके हैं। उससे पहले भी ४ बार वो सपा और बसपा के उम्मीदवार के रूप में वह चुनाव जीते हैं। इस बार यानी २०२४ में भाजपा के प्रत्याशी दिनेशलाल यादव ने ऐसा बड़बोलापन दिखाया कि लोगों ने उसी दिन इस सीट को भाजपा की झोली से खींच लिया। दिनेशलाल यादव सही मायने में इस सीट से भाग्य से एक बार सांसद बन गए थे। पिछले चुनाव में गुड्डू जमाली ने मुस्लिम वोट में सेंध लगार्इं और दिनेशलाल जीत गए। इस बार जमाली सपा के साथ है। अब चुनाव की शुरुआत में ही दिनेशलाल ने अखिलेश यादव को भगोड़ा कह डाला। इसका जवाब खुद उनके भाई विजय लाल यादव जो कि गायक, नायक और सपा के नेता ही ने दिया और कहा कि अखिलेश यादव आसमान हैं, अगर दिनेश ऊपर मुंह करके थूकेंगे तो उन पर ही गिरेगा। ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी जगजाहिर है? राजपूत समाज के एक पत्रकार के लिए अशोभनीय शब्द का ऑडियो वायरल होने के बाद से ही राजपूत समाज ने जातीय तौर पर दिनेशलाल यादव को नकारा है। बता दें कि दिनेशलाल यादव पहले सपा के सक्रीय सदस्य थे। दिनेश के करीबियों की मानें तो ये एक बार अखिलेश यादव से मिलने गए थे, लेकिन अखिलेश यादव किसी काम में व्यस्त होने के कारण दिनेशलाल यादव से मिल नहीं पाए। अखिलेश ने निरहुआ को दूसरे दिन आने को कहा तो उनका भोजपुरिया स्टारडम आड़े आ गया और वे २००९ में भाजपा से चुनाव लड़े और हार गए। वहां से हुए उपचुनाव में उनकी जीत का मार्जिन यह दर्शाता है कि दिनेशलाल यादव अपने भोजपुरी लटके-झटके से इस सीट से भाजपा को जीत नहीं दिला पाएंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)

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