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मोदी सरकार को तगड़ा झटका … `राज्य की शक्ति को नहीं छीन सकता केंद्र’

सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन पर सुनाया फैसला
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
शराब पर कानून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने औद्योगिक शराब पर केंद्र सरकार के अधिकार को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास है। केंद्र सरकार के पास शराब के उत्पादन पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने सात जजों की पीठ का पैâसला पलटते हुए कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता। बता दें कि इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कर रही थी। बेंच में कुल नौ न्यायाधीश थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निश्चित तौर पर केंद्र में बैठी मोदी सरकार को तगड़ा झटका लगा है।
पीठ ने कहा कि केंद्र के पास औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन पर विनियामक शक्ति का अभाव है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ ने आठ-एक के बहुमत से फैसला दिया। उल्लेखनीय है कि साल १९९७ में सात जजों की पीठ ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन को विनियमित करने का अधिकार दिया था। साल २०१० में इस मामले को नौ जजों की पीठ के पास समीक्षा के लिए भेजा गया। नौ जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि औद्योगिक एल्कोहल मानव उपभोग के लिए नहीं है। पीठ ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची की प्रविष्टि आठ, राज्यों को मादक मदिरा के निर्माण, परिवहन, खरीद और बिक्री पर कानून बनाने का अधिकार देती है। वहीं केंद्र सरकार के अधिकार वाले उद्योगों की सूची संघ सूची की प्रविष्टि ५२ और समवर्ती सूची की प्रविष्टि ३३ में दी गई है। समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य विधानमंडल, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन केंद्रीय कानून को राज्य के कानून पर प्राथमिकता देने का प्रावधान है। चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल रहे। पीठ में सिर्फ जस्टिस बी.वी. नागरत्नी ने बहुमत के पैâसले से असहमति जताई।

३२ साल पुराना फैसला पलटा गया
शराब नीति मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ३२ साल पुराने पैâसले को पलट दिया है। बता दें कि ३२ साल पहले सात न्यायाधीशों की बेंच ने सिंथेटिक्स और केमिकल्स मामले में फैसला सुनाया था। उस वक्त फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में सुनाया गया था। तब सुनवाई करते हुए सात जजों की बेंच ने कहा था कि राज्य के पास औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। साथ ही कहा था कि राज्य सरकार शराब को लेकर कानून बनाने का दावा नहीं कर सकता है।

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