सामना संवाददाता / मुंबई
नए निर्माण प्रोजेक्टों का केंद्र बनते जा रहे घोड़बंदर इलाके में बिल्डरों के हाउस प्रोजेक्टों को तोड़कर नालियां बनाने और प्रोजेक्टों को ‘अनापत्ति’ प्रमाणपत्र देने के लिए ड्रेनेज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच होड़ मची होने की बात सामने आई है। पता चला है कि इंजीनियरिंग विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और घोड़बंदर क्षेत्र के लिए नियुक्त एक उप अभियंता को छोड़कर अन्य क्षेत्र के प्रभारी उप अभियंता ने इस वर्ष के दौरान २१ बिल्डरों की परियोजनाओं को पारस्परिक अनुमति दी। घोड़बंदर डिविजन के प्रभारी उप-अभियंता ने मनपा सिटी इंजीनियरिंग विभाग में पत्र के माध्यम से शिकायत की, तब यह मामला सामने आया। इस पत्र बम के कारण ठाणे मनपा में एक और घोटाले के संकेत मिल रहे हैं।
ठाणे मनपा क्षेत्र में नालों का निर्माण, विकास प्रस्तावों पर अनापत्ति प्रमाणपत्र देने का कार्य सीवरेज विभाग के माध्यम से किया जाता है। इन कार्यों के लिए ठाणे मनपा ने वॉर्ड समितिवार इंजीनियरों की नियुक्ति की है। बिल्डरों के विकास प्रस्ताव दाखिल करने के बाद उनकी जिम्मेदारी है कि वे जांचें कि नियम और शर्तें पूरी हुई हैं या नहीं और पूरा होने का प्रमाणपत्र जारी करें। इसके अलावा इस क्षेत्र में बरसात के दौरान जलभराव रोकने के लिए जल निकासी का काम कराने की भी जिम्मेदारी है। इन कार्यों को पूरा करने के लिए घोड़बंदर डिविजन के लिए एक उप-अभियंता पहले ही नियुक्त किया जा चुका है। कार्यप्रणाली यह है कि प्रथम चरण में इस संबंध में अनुमति इन्हीं इंजीनियरों की देख-रेख में दी जाए। इस बीच, डिप्टी इंजीनियर ने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की है कि घोड़बंदर इलाके में बड़े बिल्डरों को परमिट और अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने में नियमों की अनदेखी की गई है और यह आशंका जताई है कि मानसून के दौरान बाढ़ जैसी स्थिति हो सकती है।
बिल्डरों को पहुंचाया गया फायदा
शिकायतकर्ता ठाणे मनपा के माजीवाड़ा-मानपाड़ा वॉर्ड समिति में उप अभियंता के पद पर तैनात है। इस इंजीनियर ने सिटी इंजीनियर को पत्र भेजकर अपने विभाग के एक अन्य सब इंजीनियर के खिलाफ शिकायत की है। घोड़बंदर क्षेत्र में सड़कों और खाड़ियों के किनारे कई कच्ची नालियां हैं और इन क्षेत्रों में बड़े आवास परिसर बनाए जा रहे हैं। इसके कारण नालों में अवैध भराव, नालों की चौड़ाई कम करना, नालों के प्रवाह को मोड़ना जारी है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए आरसीसी पद्धति से नालों के निर्माण के लिए ७५ करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई गई है और इन कार्यों के लिए कार्यादेश भी दिए जा चुके हैं। शिकायत की गई है कि ये असाइनमेंट देते समय नियमों को तोड़ा गया है। आरोप है कि इस क्षेत्र में बिल्डरों की ओर से दाखिल विकास प्रस्तावों पर अनापत्ति और पूर्णता प्रमाणपत्र देने में मनपा की प्रक्रिया बाधित हुई है। fिसटी इंजीनियर से शिकायत की है कि उन्होंने २१ बिल्डरों के विकास प्रस्तावों को पारस्परिक अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया है।