वोट पड़े – ६,४०,८८,१९५
गिने गए – ६,४५,९२,५०८
कहां से आए ५,०४, ३१३?
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव २०२४ के नतीजों के बाद मतगणना प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, मतदान के दिन कुल ६,४०,८८,१९५ मत पड़े थे, लेकिन जब इनकी गिनती की गई तो ६,४५,९२,५०८ मत का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। मतदान और गिने गए वोटों के आंकड़ों में कथित तौर पर ५,०४,३१३ वोटों का अंतर सामने आया है। इस विसंगति ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया है और कहा जा रहा है कि यह मतगणना में ‘महा’घोटाला का मामला है।
बता दें कि खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर वेबसाइट ‘द वायर’ की एक रिपोर्ट ने इस मुद्दे को और उछाल दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल ६,४०,८८,१९५ मतदाताओं में से ६६.०५ फीसदी ने मतदान किया, जो ६,४०,८८,१९५ वोटों के बराबर होता है। चुनाव आयोग के आंकड़ों में ६,४५,९२,५०८ वोट गिने गए, जिसमें ५ लाख से अधिक वोटों का अंतर पाया गया। इस विसंगति को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि पोस्टल बैलट और ईवीएम से जुड़े आंकड़ों में पारदर्शिता की भारी कमी है। विशेष रूप से नवापुर निर्वाचन क्षेत्र में १,१७१ अतिरिक्त वोट गिने गए, जहां विजेता ने केवल १,१२२ वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
गजब है चुनाव आयोग की मतदान प्रकिया
२८० निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक और ८ में कम वोट गिने गए!
राजनीतिक दलों ने जताई आपत्ति
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की मतगणना में एक ‘महा’घोटाला सामने आया है। इसके तहत चुनाव में कुल पड़े वोटों से ज्यादा मतों की गिनती की गई है। ऐसे में ईवीएम और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ खड़ा हुआ है। इससे कई चुनाव क्षेत्र में वोटों की गिनती में भारी गड़बड़ी सामने आई है। मतदान और मतगणना के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला कि २८० विधानसभा क्षेत्रों में गिने गए वोट मतदान से अधिक थे, जबकि ८ क्षेत्रों में यह संख्या कम रही। यह तथ्य ईवीएम और मतगणना प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मावल निर्वाचन क्षेत्र में १,२३८ वोट कम गिने गए। आष्टी और धाराशिव जैसे क्षेत्रों में भी गिने गए और डाले गए वोटों में बड़ा अंतर पाया गया। आष्टी में मतदान से ४,५३८ अधिक वोट गिने गए, जबकि धाराशिव में यह आंकड़ा ४,१५५ था। इस बारे में आरोप लगने के बाद चुनाव आयोग (ईसीआई) ने ‘महा’घोटाले के आरोपों को खारिज करते हुए अपनी सफाई पेश की है। आयोग का कहना है कि गिने गए वोटों में ५,३८,२२५ वैध डाक मतपत्रों को शामिल नहीं किया गया था। ईसीआई के मुताबिक, कुल मतदान का आंकड़ा ६,४६,२६,४२० था, जिसमें से ६,४५,९२,५०८ वोट गिने गए। आयोग ने कहा कि रिपोर्ट दो अलग-अलग मापदंडों की तुलना करके भ्रामक डेटा प्रस्तुत करती है। कई राजनीतिक दलों ने इस मामले को लेकर अपनी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ईवीएम और मतगणना प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए इन विसंगतियों की गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने पोस्टल बैलट और ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका जताते हुए आयोग से इस मामले में विस्तृत जांच की मांग की है। यदि ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह गहराएगा। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इन विसंगतियों पर पारदर्शी जांच करे और मतदाताओं को स्पष्ट जानकारी प्रदान करे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम बेहद आवश्यक है।