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महाकुंभ के लिए महापाप! …बूढ़ी मां को किया घर पर कैद …सास-ससुर संग संगम में लगाई डुबकी

नालायक बेटे का नराधमी कृत्य
झारखंड की घटना ने देशभर को झकझोर दिया
अनिल मिश्र / रांची
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ लोग पुण्य अर्जित करने जा रहे हैं। मगर झारखंड में एक शख्स ने महाकुंभ में स्नान करने के लिए महापाप कर डाला है। इससे पूरे क्षेत्र में लोगों में रोष है और वे इस शख्स की निंदा कर रहे हैं। प्रदेश के रामगढ़ में मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना सामने आई है। यहां एक बेटा अपने सास-ससुर संग प्रयागराज के महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए गया। इस दौरान इस नालायक बेटे ने नराधमी कृत्य करते हुए अपनी मां को घर में ही कैद कर दिया और दरवाजे पर ताला लगाकर चला गया।
घर में बंद बुजुर्ग मां भूख-प्यास से परेशान हो गई थी। उधर बेटा आराम से महाकुंभ में पुण्य कमाने गया था। बुजुर्ग महिला के घर में बंद होने की जानकारी होते ही इलाके में हड़कंप मच गया। ऐसा कहा जा रहा है कि बेटा मां के लिए सीमित राशन की व्यवस्था करके गया था, जो उसके आने से पहले ही खत्म हो गया था। दरअसल, पुण्य बटोरने के नाम पर रामगढ़ में जो यह अमानवीय मामला सामने आया, वह विचलित करने वाला है।

मां हुई भूख से बेहाल
रामगढ़ के अरगड़ा में एक बेटा (सीसीएल कर्मी अखिलेश कुमार) तीन दिन पहले अपनी ६५ वर्षीया मां संजू देवी को घर में बंद कर सास-ससुर, पत्नी-बच्चों के साथ कुंभ स्नान करने प्रयागराज चला गया। दो दिन चूड़ा खाकर मां ने किसी तरह पेट की भूख मिटाई।

पड़ोसियों ने पुलिस बुलाई
तीसरे दिन कल गुरुवार को भूख से बिलबिलाते हुए अंदर से आवाज लगाने लगी। आवाज सुन पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद घर का ताला तोड़कर वृद्धा को बाहर निकाला गया। सूचना पर पहुंची बेटी ने मां को सीसीएल अस्पताल में भर्ती कराया। यह घटना पारिवारिक संरचना पर कई सवाल खड़े करती है। वहीं रामगढ़ के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने कहा कि यह अमानवीय और शर्मनाक कृत्य है। शिकायत के आधार पर बेटे के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

धारावी का धक्का
बूढ़े बाप को निर्दयी बेटों ने सड़क पर फेंका

धारावी की सड़क पर एक बुजुर्ग को उसके नालायक बेटों ने फेंक दिया। यह बुजुर्ग बिना कुछ खाए-पिए काफी वक्त से सड़क पर प़ड़ा था। बुजुर्ग के मुताबिक, उसके दो बेटे हैं। एक चार साल से लंदन में है, जबकि दूसरा वकील है। दोनों ही उसकी देखभाल से पल्ला झाड़ चुके हैं। बुजुर्ग को सड़क पर देख एक एनजीओ के कार्यकर्ता उन्हें अपने साथ ले गए और उनके इलाज व खाने-पीने की व्यवस्था की।

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