रमेश ठाकुर / नई दिल्ली
चुनावी बॉन्ड का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकला है। इस संबंध में याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज हैं, जिन्होंने अब मामले की स्वतंत्र जांच की मांग है। सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाले मामले में चौकाने वाला खुलासा हुआ। पता चला है कि सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग और आईटी की जांच का सामना कर रही 41 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी को 2,471 करोड़ रुपए दिए थे, इनमें से 1,698 करोड़ रुपए इन एजेंसियों के छापों के बाद भी दिए गए थे।
बता दें कि मुख्य चुनाव आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड के नए आंकड़े सार्वजनिक करने के बाद याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कम से कम 30 फर्जी कंपनियों ने 143 करोड़ रुपए से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। मोदी सरकार से 172 प्रमुख अनुबंध और परियोजना हासिल करने वाले 33 समूहों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है।आरोप है कि भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,751 करोड़ रुपए का चंदा देने के बदले में उन कंपनियों को परियोजनाओं और अनुबंधों में कुल 3.7 लाख करोड़ रुपए मिले। भूषण ने यह भी दावा किया कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग द्वारा छापे का सामना करने वाली 41 कंपनियों ने भाजपा को 2,471 करोड़ रुपए दिए और इसमें से 1,698 करोड़ रुपए इन छापों के बाद दिए गए और छापेमारी के तुरंत बाद तीन महीने में 121 करोड़ रुपए दिए गए।