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भाजपा सरकार के दावे फेल : राज्य में घटी १६ फीसदी सरकारी नौकरियां!

  • ३४ प्रतिशत पद हैं रिक्त
    सामना संवाददाता / मुंबई
    केंद्र की भाजपा सरकार के दावों के विपरीत पिछले कुछ दशकों से महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी आई है और अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की संख्या भी घटी है। इसलिए कहा जाता है कि श्रमिक वर्ग में विविधता कम हो गई है। इस बीच, विभिन्न सामाजिक तत्वों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई नीतियों के कारण २०१५ से २०२३ की अवधि के दौरान आरक्षित समूहों से संबंधित कर्मचारियों की संख्या ६८.४ से बढ़कर ७१.१ प्रतिशत हो गई है। जबकि इस अवधि में ईसाई, मुस्लिम और जैन जैसे अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कर्मचारियों की संख्या ४.७४ प्रतिशत से घटकर ४.०८ प्रतिशत हो गई है।
    महाराष्ट्र सरकार के वित्त एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, २०१५ से २०२३ की अवधि के दौरान महाराष्ट्र सरकार में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या ५.७१ लाख से घटकर ४.७८ लाख हो गई है। राज्य सरकार में कुल ७.२४ लाख पद हैं। इसका मतलब है कि राज्य सरकार के पास फिलहाल ३४ फीसदी रिक्तियां हैं। जबकि प्रति लाख जनसंख्या पर ५७० पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में प्रति लाख जनसंख्या पर केवल ३७७ कर्मचारी ही कार्यरत हैं।
    सरकार के सूत्रों का कहना है कि राज्य के ६.१५ लाख करोड़ रुपए के बजट का लगभग ३५ प्रतिशत इस पर खर्च करना होगा, क्योंकि कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की लागत अधिक है। इसीलिए राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से कर्मचारियों की चरणबद्ध कटौती की नीति अपनाई है। हालांकि राज्य सरकार के कर्मचारियों की कुल संख्या में कमी आई है।

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