अनिल मिश्रा / कल्याण
50 लाख लोगों की प्यास बुझा कर जीवन देनेवाली उल्हास नदी कल्याण तहसील के अंतर्गत आने वाले कल्याण-मुरबाड राष्ट्रीय महामार्ग के समीप स्थित रायता, वरप, कांबा, म्हारल गांव की सीमा से बहती हैl
पिछले कुछ सालों में केमिकल, रसायन व घरेलू गंदा पानी छोड़े जाने के कारण उल्हास नदी प्रदूषित रहित है क्या? इस मुद्दे पर सवाल खडा़ हो रहा है। उल्हास नदी के ऊपर जलकुंभी का मानो जाल फैला है, जिससे नदी के अंदर की मछलियां, जलीय जीव-जंतु मर रहे हैं और दुर्गंध नदी के पानी में फैल रहा है। वाडा, पाडा आदि कई गांवों को इस तरह का अशुद्ध पानी देने के कारण सरकार की हर घर शुद्ध जल यह योजना विवाद के घेरे में आती दिखाई दे रही है।
बता दें कि पिछले 25 वर्षों से प्रशासन द्वारा उल्हास नदी के पानी को बिना फिल्टर किए कांबा, पांचवां मील, नवथर पाड़ा, वाघेरा पाड़ा, पावशे पाड़ा यहां के 5 गांवों व पाड़े के लगभग 5,000 नागरिकों को दैनिक उपयोग के लिए आपूर्ति किया जा रहा है। किसी भी प्रकार का फिल्टर व ट्रीटमेंट न करते हुए उल्हास नदी का दूषित पानी नागरिकों को दिया जा रहा है, जिसके कारण त्वचारोग व अन्य शारीरिक व्याधि और गंभीर पानी की बीमारी उन्हें सता रही है। जल्द ही प्रशासन को गंभीर दखल लेनी चाहिए और 5,000 कांबावासियों के हक का शुद्ध पानी पीने के लिए मिलना चाहिए, ऐसी मांग ग्रामस्थ और उल्हास नदी बचाओ कृति समिति के कार्यकर्ता निकेश पावशे ने की हैl जल्द ही शुद्ध पानी की व्यवस्था न होने पर ग्रामीण लोगों को तीव्र आंदोलन करना पड़ेगा, ऐसी जानकारी दी है।