मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराना शायद भाजपा का खयाली पुलाव बन कर रह जाएगा। पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को हाशिए पर आने के बाद दल-बदल कर भाजपा में शामिल हुए नेता गुटबाजी आपसी से लड़ कर भाजपा का बेड़ा गर्त कर दिए हैं।
बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह स्थानीय नेताओं को मिल कर पार्टी हित में सक्रिय होने की अपील किए, लेकिन नाराज नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। रायबरेली में जिस नेता की जमीनी पकड़ है, उसे भाजपा ने इतनी जिम्मेदारी सौंप दी है कि वह चाह कर भी रायबरेली में कैंप नहीं कर सकते। प्रदेश महामंत्री व राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्य रायबरेली के हैं।
उनके ऊपर पार्टी ने काशी क्षेत्र का प्रभार सौंप कर विशेष कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी की जिम्मेदारी सौंप दी है। चंदौली से लड़ रहे केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय बुरी तरह चुनाव हार रहे हैं। मिर्जापुर से सहयोगी दल अपना दल सोनेलाल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल फंसी हैं। इन सबको हार से बचाने की जिम्मेदारी भी अमरपाल मौर्य के कंधे पर आ गई है। इसलिए वह रायबरेली में अलग से डेरा नहीं डाल पा रहे हैं। निराश भाजपा नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारकों से भी मामले को ठंडा कराने में मदत मांगी, लेकिन उन लोगों ने मुंह फेर लिया।
बता दें कि भाजपा ने यहां से प्रदेश सरकार के उद्यान राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है। किसी जमाने में दिनेश सिंह का परिवार कांग्रेस का न सिर्फ सिपाही रहा, बल्कि गांधी परिवार का अतिविश्वस्नीय रहा है। मोदी लहर में दिनेश सिंह ने पलटी मार कर भाजपा का दामन थाम लिया, जिसके कारण भाजपा के बुरे दिनों के साथी जुझारू नेता अतुल सिंह कांग्रेस में चले गए। अतुल सिंह भाजपा के उस हर चाल से वाकिफ हैं, जो भाजपा चलती है। रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह अपने पिता के स्थान पर विधायक हैं।
इनके पिता बाहुबली अखिलेश सिंह कभी दिनेश सिंह परिवार के सामने झुके नहीं। क्षेत्र में यह आम चर्चा है कि अदिति अभी तक भाजपा के प्रचार में जुटी नहीं है। दूसरे दिग्गज पूर्व मंत्री व सपा विधायक मनोज पांडेय हैं, जो कि लोकसभा चुनाव के पहले संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करके भाजपा में आ गए। भाजपा ने उन्हें लोकसभा लड़ाने को कहा था, लेकिन ऐन वक्त पर उनके साथ वही हो गया, जो उन्होंने सपा के साथ किया था। वह भी भाजपा प्रत्याशी के लिये प्रचार में नहीं उतरे हैं, चूंकि राहुल गांधी के सामने भाजपाई स्वयं बिखर गए हैं, इसलिए भाजपा वहां बड़े अंतर से चुनाव हारेगी। रायबरेली कांग्रेस से ज्यादा गांधी परिवार का गढ़ रहा।
वहां की जनता राहुल के लिए चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी स्वयं रायबरेली व अमेठी की कमान संभाले हुए हैं। सूत्रों की मानें तो रायबरेली के मतदाताओं को चुनाव के अंतिम चरण में सोनिया गांधी के मार्मिक पत्र की प्रतीक्षा है। वह पत्र रायबरेली व अमेठी में चमत्कारी साबित होगा।