धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
राज्य की ‘लाडली बहन’ योजना ने भाजपा सरकार की हालत इस कदर पतली कर दी है कि अब सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री को अपने ही सरकार के सामने हाथ फैलाकर १०,००० करोड़ रुपए की भीख मांगनी पड़ रही है। उन्हें ये पैसे ठेकेदारों के बकाए की भुगतान के लिए चाहिए। मंत्री जी का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द इन ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया तो वे जीना मुश्किल कर देंगे।
बता दें कि महाराष्ट्र के करीब चार लाख ठेकेदारों ने पिछले आठ महीनों से बकाया ८९,००० करोड़ रुपयों के भुगतान को लेकर गत पांच फरवरी से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर रखी है। इससे राज्य में बुनियादी ढांचों का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
चालू वित्त वर्ष में चाहिए रु. १८,००० करोड़
वर्ना विकास हो जाएगा ठप!
राज्य में ठेकेदारों के हजारों करोड़ रुपए बकाया हैं। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में विभिन्न योजनाओं के लिए १८,००० करोड़ रुपए चाहिए, वर्ना विकास कार्य ठप हो जाएगा।
राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवेंद्रराजे भोसले ने कहा कि उन्होंने बकाया राशि को लेकर एक सप्ताह से हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों के लिए जल्द से जल्द १०,००० करोड़ रुपए जारी करने की मांग की है। इसे लेकर मैंने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से बात की है। ठेकेदारों द्वारा उठाई गई मांगों के बारे में दोनों ही सकारात्मक हैं। ठेकेदारों के मुद्दों को सुलझाने के लिए चालू वित्त वर्ष में लगभग १८,००० करोड़ रुपयों की आवश्यकता है। ठेकेदारों के ८९,००० करोड़ रुपयों के बकाए में पीडब्ल्यूडी का ४६,००० करोड़ रुपए, जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग के तहत जल जीवन मिशन का १८,००० करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास विभाग का ८,६०० करोड़ रुपए, सिंचाई विभाग का १९,७०० करोड़ रुपए, डीपीडीसी, विधायक निधि और सांसद निधि के तहत किए गए कार्यों का १,७०० करोड़ रुपए शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भुगतान का बड़ा हिस्सा सड़क और पुल निर्माण कार्यों का है।
कई परियोजनाएं अटकीं
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाओं के हजारों छोटे-बड़े काम चल रहे हैं। सरकार ने ठेकेदारों के हजारों करोड़ रुपयों के बिलों का भुगतान नहीं किया है, जिससे ये परियोजनाएं अटक गई हैं।
जुलाई से ही है बकाया
जुलाई २०२४ से ही बकाया बिल लगातार बढ़ता जा रहा है। बताया गया है कि सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग, जल जीवन मिशन, ग्रामविकास विभाग, जलसंसाधन विभाग, नगरविकास विभाग आदि विभागों के ठेकेदारों पर ये बकाए हैं।
दूसरी योजनाओं में गया पैसा
लगातार फॉलोअप करने के बाद भी ठेकेदारों को उनके हक का पैसा नहीं मिला है। दूसरी तरफ विपक्ष की ओर से आरोप लग रहे हैं कि सार्वजनिक निर्माण कार्य के फंड को लाडली बहन योजना की ओर मोड़ दिया गया है, जिस कारण ठेकेदारों के हजारों करोड़ रुपयों का भुगतान करने में यह सरकार आनाकानी कर रही है।