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भाजपाई सांसद हुए ‘गंभीर’

-आलाकमान से परेशानी या भाजपा से मोहभंग?

-गौतम गंभीर, जयंत सिन्हा ने राजनीतिक जिम्मेदारियों से मांगी मुक्ति

-भाजपा अध्यक्ष से किया निवेदन

-कई सांसद चुनाव लड़ने के मूड में नहीं!

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की पहली लिस्ट जारी होने से पहले ही कई सांसद `गंभीर’ हो गए हैं। भाजपा के सांसद गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा ने आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। इनके अलावा भी कई भाजपाई सांसदों और नेताओं ने भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव में उतरने के प्रति अनिच्छा प्रकट की है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के कई सांसद पार्टी आलाकमान से परेशान हैं तो कई लोगों को केंद्र सरकार की नीतियां पसंद नहीं आ रही हैं, उन्होंने जनता के बीच जो वादा किया था उनमेंं से कुछ भी पूरा नहीं कर पाएं हैं, ऐसे में कई सांसदों को भी अपनी हार का डर है या फिर पार्टी की नीतियों से नाराजगी है। यह कहना मुश्किल है, लेकिन गंभीर और जयंत सिन्हा जैसे कई सांसदों का चुनाव लड़ने का बिलकुल भी मूड नहीं है। भाजपा के कई सांसद स्वेच्छा से राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ना चाहते हैं।
बता दें भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कल सुबह पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सोशल मीडिया पर राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने की बात कही। इसके बाद दोपहर में झारखंड के हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से निवेदन कर उन्हें राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने की गुजारिश की। आश्चर्य तो यह है कि फरवरी में जयंत सिन्हा को सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया था। जयंत अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। सिन्हा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि मेरा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से निवेदन है कि मुझे चुनावी दायित्वों से मुक्त करें। मैं ग्लोबल क्लाइमेट चेंज से जुड़े भारत और दुनिया में चल रहे काम पर फोकस करना चाहता हूं। मैं पार्टी के इकोनॉमिक और गवर्नेंस से जुड़े काम करता रहूंगा। बीते १० साल में मुझे देश और हजारीबाग के लोगों के लिए काम करने का मौका मिला, लेकिन अब मै इन जिम्मेदारियों से मुक्ति चाहता हूं। गंभीर ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को टैग करते हुए राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ने की वजह भी बताई है। गौतम गंभीर २२ मार्च २०१९ को भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने उन्हें दो महीने बाद ही २०१९ के लोकसभा चुनाव में ईस्ट दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया। गंभीर ने ६ लाख ९५ हजार १०९ वोट से आम आदमी पार्टी आप की प्रत्याशी आतिशी और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को हराया था।

बिहार में भाजपा की हार…मंटू के बाद कई नेता होंगे कांग्रेस में शामिल
बिहार में भाजपा के कई नेता भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश कर रहे हैं। बिहार में भले भाजपा ने नीतिश बाबू को अपने साथ मिलकर सत्ता हासिल की हो, लेकिन जमीनी स्तर पर अब उसकी हार दिख रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह का दावा है कि कई ऐसे लोग उनके संपर्क में हैं, जो भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस में प्रवेश बिना शर्त के ही संभव है। एक दिन पहले भाजपा नेता मंटू शर्मा अपने समर्थकों सहित कांग्रेस में वापस हुए हैं, तो पटना उच्च न्यायालय की अधिवक्ता अचला सिंह ने भी कांग्रेस का दामन थामा है। इस दौरान भाजपा पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश ने कहा कि कभी-कभी शिकारी स्वयं शिकार बन जाता है। तोड़फोड़ की जो राजनीति भाजपा ने शुरू की, उसका शिकार वह स्वयं बन रही है। भाजपा लोकतंत्र को मंडी समझती है, जिसका खामियाजा उसे भुगतना ही होगा। मंटू और अचला को तीन मार्च की जन-विश्वास महारैली में दम-खम दिखाने का निर्देश दिया गया। मंटू बिक्रम विधानसभा क्षेत्र से आते हैं और कभी कांग्रेस के पटना ग्रामीण जिला के अध्यक्ष हुआ करते थे। अचला ने कहा कि सभी वर्गों के लिए न्याय व कल्याण की बात करने वाली कांग्रेस ही हमारे लिए उपयुक्त स्थान है।

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