सामना संवाददाता / लखनऊ
समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान मंगलवार को खुद को जंजीर में बांधकर विधानसभा पहुंचे। अतुल प्रधान का कहना है कि अमेरिका ने भारतीयों का अपमान किया है। जिन भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है, उनका अपमान हुआ है। उन्होंने कहा, मैंने डेढ़ घंटे से ये जंजीरें बांध रखी हैं और मेरे लिए इसे सह पाना मुश्किल हो रहा है तो फिर अमेरिका से वापस आ रहे उन भारतीयों ने इन जंजीरों को कैसे पहना होगा?
बता दें कि १६ फरवरी को ११२ भारतीयों को लेकर अमेरिका से तीसरा प्लेन भारत पहुंचा था। यह हवाई जहाज भी अमृतसर में ही लैंड हुआ था। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा ऐसे अप्रवासियों पर कार्रवाई के तहत १० दिनों के अंतराल में यह तीसरा आगमन है। निर्वासन का पहला दौर ५ फरवरी को हुआ था, जब एक अमेरिकी सैन्य विमान ने १०४ भारतीयों को अमृतसर पहुंचाया था। ११६ भारतीयों को लेकर दूसरा विमान शनिवार को उतरा था। ट्रंप के कार्यकाल संभालने के बाद उन्होंने तेजी से अवैध अप्रवासियों को उनके देश वापस भेजने का काम शुरू कर दिया है। इसी को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए नजर आए। उनका कहना है कि अमेरिका से इस तरह से भारतीयों को वापस भेजना उनके साथ हुए अन्याय को दर्शाता है।
राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध
राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विधानसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। यूपी विधानमंडल के बजट सत्र शुरू होने के पहले इसके संकेत मिल गए थे। विधानसभा परिसर में समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक प्रदर्शन करते नजर आए। सपा के एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) आशुतोष सिन्हा मंगलवार को बजट सत्र की शुरुआत से पहले साइकिल पर ‘नैतिकता का अस्थि कलश’ लेकर उत्तर प्रदेश विधान भवन पहुंचे। इसकी तस्वीर सामने आई है। तीन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर वे यूपी विधान भवन पहुंचे।
साइकिल पर अस्थि कलश
आशुतोष सिन्हा ने कहा कि मैं साइकिल पर ‘नैतिकता का अस्थि कलश’ लेकर यहां आया हूं। प्रयागराज में महाकुंभ मेला चल रहा है, लेकिन सरकार की ‘नैतिकता’ मर चुकी है। कई लोग मर चुके हैं। सरकार संवेदना जताने की बजाय मौत के आंकड़े छिपा रही है।
नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कही ये बात
बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर विधानसभा में विपक्ष के नेता और सपा नेता माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि उनके (राज्यपाल) अभिभाषण में जो पढ़ा जा रहा था, उसका समाजवादी पार्टी ने विरोध किया क्योंकि उसमें गलत आंकड़े दिए गए थे। मांग थी कि महाकुंभ में हुई भगदड़ में हुई मौतों का सही आंकड़ा दिया जाए। राज्यपाल ने भाषण बीच में ही छोड़ दिया। हमें लगता है कि महाकुंभ में हुई घटनाओं से वह दुखी थीं इसलिए उन्होंने पूरा भाषण नहीं पढ़ा।