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ब्लफ मास्टर! … लोकसभा की घोषणाएं साबित हुईं जुमला … लोकसभा चुनाव के पहले जारी छह टेंडर रद्द

 विधानसभा चुनाव के पहले फिर से जारी होने की चर्चा
 सरकार ने तकनीकी खामी का हवाला देकर पिंड छुड़ाया

इन परियोजनाओं में ठाणे कोस्टल रोड, ईस्टर्न प्रâीवे से ठाणे एक्सटेंशन, कासरवडवली से खरबाव क्रीक ब्रिज, गायमुख से पेयगांव क्रीक ब्रिज, नेशनल हाईवे ४ से कटाई नाका एलिवेटेड रोड और कल्याण-मुरबाड रोड जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।’

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की ‘घाती’ सरकार पूरी तरह से ब्लफ मास्टर साबित हुई है। जनता को ठगने का वह कोई मौका नहीं छोड़ती। विकास का मामला इस सरकार के लिए बस जुमला भर बनकर रह गया है। सीएम एकनाथ शिंदे और दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार ने लोकसभा चुनाव के दौरान विकास के खूब दावे किए थे पर वे सभी जुमले साबित हुए। ‘घाती’ सरकार ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले छह नई परियोजनाओं के टेंडर जारी किए गए थे। चुनाव खत्म होने के बाद इन्हें रद्द कर दिया गया है। अब विधानसभा चुनाव के पहले फिर से इनके जारी होने की चर्चा है।
मिली जानकारी के अनुसार, एमएमआरडीए (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट ऑथरिटी) ने तकनीकी खामियां बताकर इन टेंडरों को रद्द किया है। बता दें कि गत लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ठाणे में छह महत्वपूर्ण इंप्रâास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए ९,५०० करोड़ रुपए के टेंडर निकाले गए थे। अब इन्हें तकनीकी खामियों का हवाला देकर रद्द कर दिया गया है।
इन परियोजनाओं में ठाणे कोस्टल रोड, ईस्टर्न प्रâीवे से ठाणे एक्सटेंशन, कासरवडवली से खरबाव क्रीक ब्रिज, गायमुख से पेयेगांव क्रीक ब्रिज, नेशनल हाईवे ४ से कटाई नाका एलिवेटेड रोड, और कल्याण-मुरबाड रोड जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। एमएमआरडीए का दावा था कि आचार संहिता के पहले इन परियोजनाओं के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और लोकसभा चुनावों से पहले ठेकेदारों की नियुक्ति कर परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा। लेकिन अब इन परियोजनाओं की प्रगति में अनिश्चितकालीन देरी हो गई है।

ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जारी किए गए ये टेंडर अब विधानसभा चुनाव में भी झुनझुने के रूप में इस्तेमाल किए जाएंगे।
९,५०० करोड़ रुपए का था टेंडर
करीब ९,५०० करोड़ रुपए की लागत वाली इन परियोजनाओं की निविदाएं रद्द कर दी गई हैं। एमएमआरडीए के इस पैâसले ने न केवल प्रोजेक्ट से संबंधित क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास को झटका दिया है, बल्कि इसने सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। तकनीकी खामियों का हवाला देकर निविदाएं रद्द करने से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की योजनाओं में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं।
चुनाव में भाजपा उठाएगी फायदा
इन परियोजनाओं का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए भाजपा पूरी तरह तैयार है। लोकसभा चुनावों के पहले जारी इन परियोजनाओं के टेंडर को वैंâसल कर वापस टेंडर निकाल कर विधानसभा चुनाव के प्रचार में जोर-शोर से उठाया जाएगा। बता दें कि ये टेंडर लोकसभा से पहले जारी किए गए थे। लेकिन ये सभी टेंडर रद्द कर दिए गए हैं, ताकि इन्हें वापस जारी कर विधानसभा चुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा सके।
निविदाएं फिर से होंगी जारी
हालांकि, एमएमआरडीए ने इन परियोजनाओं के लिए नई निविदाएं जारी करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसमें भी समय लगेगा। ठेकेदार अब १२ जुलाई तक नई निविदाएं जमा कर सकते हैं। इस देरी से न केवल परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी सरकार से उठेगा। सरकार की इस ढिलाई और प्रशासनिक खामियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास कार्यों में केवल बड़ी-बड़ी घोषणाएं करना ही पर्याप्त नहीं है।

 

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