सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई महानगरपालिका चुनाव करीब आते ही सरकार ने अचानक अधर में लटकी मेट्रो परियोजनाओं को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एमएमआरडीए की समीक्षा बैठक में सभी मेट्रो प्रोजेक्ट्स की समयसीमा नए सिरे से तय करने का निर्देश दिया। सवाल उठता है कि इन प्रोजेक्ट्स में हुई देरी पर पहले ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
सह्याद्री अतिथिगृह में हुई इस बैठक में फडणवीस ने कहा कि अगले साल से हर साल ५० किलोमीटर मेट्रो सेवा शुरू होनी चाहिए। जबकि अब तक कई मेट्रो प्रोजेक्ट बिना कारशेड के ही अधर में लटके हुए हैं। मुख्यमंत्री ने अन्य देशों के प्रयोगों का हवाला देकर तात्कालिक समाधान खोजने का निर्देश दिया, लेकिन असल सवाल यह है कि योजनाएं पहले क्यों नहीं बनीं?
राजनीतिक संकेत स्पष्ट
बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद यह सवाल बना हुआ है कि मेट्रो परियोजनाओं की देरी और बढ़ते खर्च का जिम्मेदार कौन है। क्या यह सिर्फ बीएमसी चुनाव के लिए जनता को दिखावटी राहत देने की कवायद है?
कारशेड पर फिर राजनीति
अधूरी मेट्रो सेवाओं को लेकर राजनीति गरमा सकती है। फडणवीस ने कारशेड के लिए जमीन आरक्षित करने को कहा, लेकिन पहले से चल रहे विवादों पर कोई स्पष्टता नहीं दी। मेट्रो-३ के २०-२५ किलोमीटर और अन्य २३ किलोमीटर मेट्रो सेवाओं को जल्द शुरू करने की घोषणा सिर्फ चुनावी जुमला लग रही है।