सामना संवाददाता / मुंबई
कल महायुति सरकार ने वित्तवर्ष २०२५-२०२६ के लिए बजट पेश किया। हालांकि सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में आम जनता के लिए कुछ नहीं है उल्टे विभिन्न सामानों पर कर बढ़ा कर मुश्किलें खड़ी की गई हैं। बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधायक और युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनी गई इस सरकार ने बजट में जनता के लिए कुछ नहीं दिया। भाजपा की अपवित्र गठबंधन सरकार ने दिए गए किसी भी वादे को बजट में शामिल नहीं किया। इससे यह स्पष्ट है कि भाजपा को पता है कि राज्य में महायुति की सरकार जनता की नहीं, बल्कि चुनाव आयोग के आशीर्वाद से चुनी गई है। उनके घोषणापत्र में किसानों के कर्ज माफी का वादा किया गया था, लेकिन बजट में उसका साधारण उल्लेख भी नहीं है। महाझूठी सरकार द्वारा राज्य के लिए पेश किया गया यह एक बोगस बजट है।
जनता से गद्दारी, ठेकेदार मित्रों से यारी!
चुनाव से पहले धूमधाम करके गुलाबी जैकेट पहनने वाले वित्त मंत्री अजीत दादा ने सत्ता में आते ही लाडली बहनों के साथ गद्दारी की। किसानों और लाडली बहनों के वोटों पर सत्ता में आई सरकार को अब उनकी याद नहीं है। लाडली बहनों के वोट मांगने वाली महायुति सरकार सत्ता में आते ही २,१०० रुपए देने के अपने वादे से दूर भाग रही है।
-वर्षा गायकवाड, सांसद व अध्यक्ष, मुंबई कांग्रेस
किसानों और लाडली बहनों के साथ विश्वासघात
यह किसानों, लाडली बहनों और आम लोगों के साथ विश्वासघात करने वाला, कोई दिशा, लक्ष्य या नीति न देने वाला एक खोखला बजट है। इससे किसी भी वर्ग को कोई लाभ नहीं होगा। राज्य में आर्थिक अनुशासनहीनता का प्रबंधन चल रहा है और आठ लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो गया है, जबकि आय से अधिक खर्च हो रहा है। महाराष्ट्र अब नहीं रुकेगा, ऐसा कहने वाली भाजपा की महायुति सरकार राज्य को कर्ज के बोझ तले दबाकर भटकने पर मजबूर कर देगी।
-हर्षवर्धन सपकाल, प्रदेश अध्यक्ष, महाराष्ट्र कांग्रेस
सेवन हेवन बजट पेश
सरकार द्वारा घोषित योजनाएं सेवन हेवन जैसी हैं। आज के बजट में जो कार से यात्रा करते हैं, उनके लिए अनेक पुलों और सुरंगों की घोषणा की गई है। लेकिन एसटी बस और रेल से यात्रा करने वाले आम, गरीब और मध्यम वर्ग की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है। शिवभोजन योजना का कहीं भी उल्लेख नहीं है। इसलिए सरकार का इसे बंद करने का नजरिया साफ दिख रहा है। आनंदाचा शिधा पर भी जोर नहीं दिया गया है, क्योंकि अब चुनाव नहीं हैं। यह सिर्फ वादों का बजट है।
-जयंत पाटील, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार)
भारी-भरकम घोषणाओं से बिगड़ेगी आर्थिक स्थिति
चुनाव जीतने के लिए की गई भारी-भरकम घोषणाओं का दिखावा आर्थिक रूप से कितना महंगा पड़ता है, यह अब राज्य में महायुति सरकार अनुभव कर रही है। कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के कारण उन राज्यों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। महाराष्ट्र में भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है। राज्य का वित्तीय घाटा बढ़ता ही गया तो एक दिन महाराष्ट्र को रुकना ही पड़ेगा।
-सुनील शिंदे, विधायक
महायुति ने जनता को दिया धोखा
महायुति ने चुनाव में दिए गए एक भी वादे को बजट में पूरा नहीं किया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि महायुति ने जनता को धोखा दिया है। महायुति ने राज्य की अधोगति की है। यह आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट से ही सामने आ चुका था। आज के बजट ने उस पर मुहर लगा दी है। राज्य पर कर्ज का बोझ है और आय से अधिक खर्च होने के कारण आर्थिक गणित बिगड़ गया है। राजस्व और राजकोषीय घाटा बढ़ गया है। इसलिए बजट में की गई घोषणाएं पूरी होंगी या नहीं, इस पर संदेह है।
-नाना पटोले, कांग्रेस नेता
पूरे करेंगे किए गए वादे!
लोक कल्याणकारी योजनाओं का बढ़ता बोझ सहते हुए आर्थिक अनुशासन बनाए रखने और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार को गति देने वाला यह संतुलित बजट है। यदि योजनाओं को लंबे समय तक चलाना है, तो उसके लिए आर्थिक अनुशासन आवश्यक है। हालांकि, अप्रैल में लाडली बहनों को २१०० रुपए नहीं मिलेंगे। जब भी उन्हें देना होगा, हम उसकी घोषणा करेंगे। किए गए वादे पूरे करेंगे।
-देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री
बजट में पुरानी हैं ७० फीसदी घोषणाएं
महायुति सरकार द्वारा पेश किए गए इस बजट में सिर्फ घोषणाओं की बौछार की गई है। इसमें राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा बहुत अधिक है। बजट में जो कुछ घोषणाएं की गई हैं, वे पिछले साल की ही हैं और उनमें से ७० फीसदी घोषणाएं पुरानी ही हैं। बजट में लाडली बहनों के लिए २,१०० रुपए की किस्त की घोषणा नहीं की गई। लाडली बहनों के साथ राज्य सरकार ने धोखाधड़ी की है। लाडली बहन योजना को चलाने वाली आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में भी ५० रुपए की वृद्धि नहीं की गई है। किसानों के लिए कर्जमाफी की उम्मीद थी। लेकिन किसानों के मुंह पर ताला लगा दिया गया है। यह महाराष्ट्र की आंखों में धूल झोंकने वाला बजट है।
-अंबादास दानवे, नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद
विकसित महाराष्ट्र का बजट
कृषि, कृषि-सहायक क्षेत्र, उद्योग, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, बुनियादी सुविधाएं, सामाजिक विकास जैसे अनेक क्षेत्रों के लिए भरपूर आवंटन वाला यह बजट विकसित भारत-विकसित महाराष्ट्र’ के सपने को साकार करने वाला है। इससे देश में विदेशी निवेश, रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
-अजीत पवार, उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री