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बोईसर-चिल्हार राजमार्ग बदहाल …नाराज लोगों ने सरकार को जमकर कोसा … प्रदर्शन कर एमआईडीसी अधिकारियों का किया श्राद्ध

• २३ साल बाद भी पूरा नहीं हुआ राजमार्ग का कार्य
• ६ साल में ५० से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान
योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
बोईसर-तारापुर औद्योगिक क्षेत्र को मुंबई-अमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़नेवाले बोईसर-चिल्हार राजमार्ग की दुर्व्यवस्था पर लोग भड़के हुए हैं और राज्य सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि और कितनी जान दुर्घटनाओं में जाने के बाद जगेगी सरकार। सरकार के लापरवाह अधिकारियों को जगाने के लिए लोगों ने ‘जनसामर्थ्य आदिवासी संगठन’ के नेतृत्व में एक दिवसीय प्रदर्शन कर, जिला प्रशासन और एमआईडीसी के अधिकारियों का श्राद्ध किया और लोगों को भोजन कराया। लोगोें ने कहा कि करीब २३ साल से राजमार्ग का कार्य जारी है, जिसकी वजह से हर रोज इस मार्ग पर दुर्घटनाएं हो रही हैं। २०१७ से लेकर २०२३ तक ही इस मार्ग पर ७० सड़क दुर्घटनाएं हुर्इं, जिसमें ५० लोगों की मौत हो चुकी है और कई तो जिंदगी भर के लिए हाथ-पैर गवां चुके हैं।
मांगें नहीं मानी तो करेंगे चक्का जाम
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे ‘जनसामर्थ्य आदिवासी संगठन’ के प्रमुख महेश धोड़ी ने कहा कि बोईसर-चिल्हार मार्ग की अनदेखी और अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ पिछले साल भी अनशन किया गया था और प्रशासन से आश्वासन मिलने के बाद अनशन खत्म किया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। महेश धोड़ी ने आरोप लगाया कि एमआईडीसी अधिकारियों की मिलीभगत से कंपनियों ने मार्जिन स्पेज पर भी अवैध कब्जा कर लिया, जिससे लोग लगातार हादसे का शिकार हो रहे हैं। धोडी ने कहा कि मांगें नहीं मानी गर्इं तो चक्का जाम आंदोलन करेंगे।
आधी-अधूरी सड़क बनी जानलेवा
तारापुर परमाणु ऊर्जा घर, तारापुर एमआईडीसी के साथ-साथ बोईसर समेत कई गांवों को बोईसर-चिल्हार राजमार्ग जोड़ता है। राजमार्ग पर हजारों भारी वाहनों के साथ-साथ हल्के वाहन और कार सहित अन्य वाहन चौबीसों घंटे दौड़ते हैं, जिससे भारी ट्रैफिक रहता है। कई बाधाओं को पार कर इस राजमार्ग को फोर लेन बनाया गया है, लेकिन यह आधी-अधूरी फोर लाइन लोगों के जान की दुश्मन बन गई है।
क्या कहती है जनता
राजमार्ग की दुर्दशा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हरवंश सिंह का कहना है कि इस राजमार्ग पर दो व चार लेन का ऐसा मिक्सप कर दिया गया है कि चालक समझने से पहले ही हादसे का शिकार हो जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस महत्वपूर्ण सड़क मार्ग को लेकर कोई जनप्रतिनिधि और संस्थाएं आवाज नहीं उठाती हैं, जिसकी वजह से एमआईडीसी प्रशासन भी गंभीर नहीं है।

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