सामना संवाददाता / मुंबई
गर्भावस्था में महिलाओं का ब्रेन बदलता है। इसके साथ ही ऐसी महिलाओं में मेमोरी कमजोर हो जाती है, लेकिन ब्रेन का अंतरिक संचार तेज हो जाता है। हालांकि, ब्रेन में आए ये बदलाव महिलाओं को बेहतर मां बनने में मदद करते हैं। इससे वे अपने बच्चे की भावनाओं और उसकी जरूरतों को समझने में अधिक सक्षम हो जाती हैं। यह जानकारी एक शोध में सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हर दिन नए बदलाव होते हैं। ज्यादातर शारीरिक बदलाव तो बाहर से देखे जा सकते हैं। लेकिन इसके अलावा ऐसे ढेरों बदलाव होते हैं, जो हमें नहीं दिखते हैं। इसमें हॉर्मोनल, हार्ट संबंधी, श्वसन, पाचन और यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़े भी कई बदलाव होते हैं। ये सारे प्राकृतिक बदलाव महिला को सृजन के लिए तैयार कर रहे होते हैं। नेचर न्यूरोसाइंस में पब्लिश एक स्टडी में पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर के साथ ब्रेन में भी कई बदलाव होते हैं। गर्भवती महिलाओं में सिर्फ शारीरिक बदलाव ही नहीं होते हैं, बल्कि कई मानसिक बदलाव भी होते हैं। ब्रेन की संरचना तक बदल जाती है। ब्रेन की बाहरी परत पतली होने लगती है। इस भाग का वॉल्यूम भी कम होने लगता है, जबकि ब्रेन की भीतरी परत मोटी होती जाती है। इस दौरान इसका वॉल्यूम भी बढ़ता है। इससे पहले इस तरह की कोई स्टडी नहीं की गई है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
इस तरह काम करता है
ग्रे और व्हाइट मैटर
न्यूरो सर्जन डॉ. चंद्रनाथ तिवारी के मुताबिक ग्रे मैटर ब्रेन की बाहरी परत है, जो न्यूरॉन्स और उनके काम में मदद करने वाले टिश्यूज से मिलकर बनी होती है। व्हाइट मैटर ब्रेन की भीतरी परत है। यह न्यूरॉन्स के कनेक्शन को मजबूत बनाकर और सिग्नल्स को तेजी से पहुंचाने में मदद करती है। ब्रेन के इन हिस्से की अच्छी सेहत के लिए नियमित एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और पर्याप्त सात घंटे की नींद बहुत जरूरी है। साथ ही डाइट में ओमेगा-३ से भरपूर चीजें बढ़ाई जाएं।
मां बनने से पहले जरूरी है ब्रेन में बदलाव
गायनोलॉजिस्ट डॉ. शोभना चव्हाण ने कहा कि जब कोई महिला पहली बार मां बनती है तो उससे पहले उसे शिशुओं की शारीरिक भाषा का बहुत ज्ञान नहीं होता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान ब्रेन में आए ये बदलाव महिलाओं को नवजात शिशुओं की शारीरिक भाषा को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए तैयार कर रहा होते हैं। मां बच्चे के रोने के तरीके से समझ लेती है कि उसे किस चीज की जरूरत है। यह ब्रेन में आए इस बदलाव के कारण ही संभव हो पाता है।