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ब्रजभाषा व्यंग्य : काऊ बेटी कौ बाप हैबौ, हर व्यक्ति के लीयें गर्व की बात हतै!

संतोष मधुसूदन चतुर्वेदी

एक पेट बारी लुगैया अपने आदमी सौं बोली- आप कहा चाओ की बेटा होयगो या बेटी।
आदमी-अगर हमारें बेटा होयगो, तौ मै बावूँâ गनित पढाउंगो, हम खेलबे जांगे, मै बावूँâ मछली पकरबौ सिखाउंगो।
लुगैया- और अगर बेटी भयी तौ?
आदमी- अगर हमारें बेटी होयगी तौ, मोकूं बाय कछू सिखाइबे की जरूरत ई नाँय होयगी। क्योंकि, बिन सबन मै सौं एक होयगी जो सब कछू मोकूं दुबारा सिखाबैगी, वैâसे पहननौ एॅ, वैâसे खानौ एॅ, का कहनौ एॅ या नाँय कहनौ एॅ। एक तरियाँ सूं बौ, मेरी दूसरी मईया होयगी। बौ मोकूं अपनौ हीरो समझैगी, चायें मै बा के लियें कछू खास करौं या न करौं। जबू मै बावूँâ काऊ चीज कौ नाँय करंगों तौ बौ मोकूं समझैगी। बौ हमेसा अपने पति की मोसौं तुलना करैगी। यै माईने नाँय रखै की बौ कित्ते ऊ बरस की होय परंतु बौ हमेसा चायेगी की मै बावूँâ अपनी गुरिया की नार्इं पियार करौं। बौ मेरे लीयें संसार सौं लडैगी, जब कोऊ मोकूं दु:ख देइगौ बौ बावूँâ कबू माफ नाँय करैगी।
पत्नी- कहबे कौ मतलब है की, आपकी बेटी जो सब करैगी बौ आपकौ बेटा नाँय कर पाबेगौ।
पति- ‘नाँय, नाँय का पतौ मेरौ बेटा हू ऐसौई करैगौ, पर बौ सीखेगौ। परंतु बेटी, इन गुणन के संग पैदा होयगी। काऊ बेटी कौ बाप हैबौ हर व्यक्ति के लीयें गर्व की बात हतै।’
पत्नी- पर बौ हमेसा हमारे संग नाँय रहैगी?
पति- हां, पर हम हमेसा बाके दिल में रहिंगे। या सौं कोऊ फरक नाँय परैगौ चाएँ बौ कहूँ जाए, बेटियाँ परी होमें। जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभार कौं ही जनम लेबैं। वैसे ही ‘बेटियां’ सब के नसीब में, कहाँ होमें! बेटियां तो बाई घर मै हौमें, जो घर ईश्वर कौं पसंद होबे!!

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