मुख्यपृष्ठस्तंभब्रजभाषा व्यंग्य : इंस्टाग्रामी घुटरूमल

ब्रजभाषा व्यंग्य : इंस्टाग्रामी घुटरूमल

नवीन सी. चतुर्वेदी

घुटरूमल जी कों नित्त नई सनक सूझती रहें। एक इच्छा पूरी भई नाँय कि दूसरी कों लै कें घुटन लगें। या ई मारें तौ इन कौ नाम घुटरूमल परौ। आजकल एक नई सनक चढ़ी है, विनें मसहूर होनों है।
काहु नें सलाह दीनी तौ मसहूर हैवे के लिएं इंस्टाग्राम पै एकाउंट खोल लियौ परंतु विनें फॉलोवर नाँय मिले। फिर काहु नें सलाह दीनी तौ द्वै हजार रुपैया खर्च कर कें दस हजार फॉलोवर हु खरीद लिये। फिर काहु नें सलाह दीनी तौ द्वै चार रील हू बनाय कें डार दीनी। रील डारवे के बाद हू मसहूर न भए तौ फिर घुटन लगे। न खायवौ अच्छौ लगै न पीवौ। न तौ कछू काम करें न कहूँ आमें जामें। मित्र’न कों तरस आई तौ अब कें विनें सलाह दीनी गई कि जैसें फॉलोवर खरीदे हुते वैसें ही लाइक कमेंट हू खरीद लेउ। घुटन में घिरे घुटरूमल जी नें इंस्टाग्राम कों पाँच सौ रुपैया दिये और इंस्टाग्राम नें विनकी रील पाँच हजार लोग’न तक पहुँचाय दीनी। भौत सारे लोग’न नें लाइक कियौ कछू एक लोग’न नें कमेंट हु कर दिये। घुटरूमल अब हू मसहूर न भए।
जब पैसा पूँâकवे के बाद हू मसहूर न भए तौ हमारे पास आये। द्वै मिनट में ई हम सब माजरौ समझ गए। फिर विनें बतायौ भैया मसहूर हैवे के लिएं तौ लोग’न नें अरब’न खरब’न के ब्याउ बरात तक कर डारे, परंतु ऐसौ कर कें वे सही अर्थ’न में मसहूर भए का? इंस्टाग्राम की तरें ही प्रमोसन भयौ बस। सच्च’ऊँ मसहूर होनों होय तौ सच्च’ऊँ वारे अच्छे काम करने परें। विनें बताई कि वैâसें सीता पति राम नें उपेक्षा और अन्याय पूर्ण ब्यौहार के कारण पत्थर की शिला जैसौ जीवन जीवे कों मजबूर अहिल्या कौ उद्धार कियौ हुतो। विनें बतायौ कि वैâसें कृष्ण नें कुबड़ी कुब्जा कों पुन: रूपसी बनाय कें वा कौ खोय चुकौ सम्मान वापस दिवायौ हुतो। अच्छे काम करिवे के लिएं वास्तव में अच्छे काम करने चैंयें जैसें कि लाल बहादुर शास्त्री जी नें बिना माँगें केवल एक ही रेल दुर्घटना पै अपने पद सों इस्तीफा दै दियौ हुतो। अब तौ लोग इस्तीफा देमें हू हैं तौ नफा-नुकसान कौ हिसाब लगाय कें देमें हैं।
भैया यै पब्लिक है, यै सब जानें है। इंस्टाग्राम ते मिलियन-बिलियन लाइक कमेंट तौ खरीदे जाय सकें, परंतु हमारे देस के लाडले राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम आजाद जैसी प्रसिद्धि पानी होय तौ भैया जगत के होम में जीवन की आहुति दैनी ही परै। बाकी जैसें आप कों ठीक लगै। जय राम जी की।

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