राजेश विक्रांत
गधा, गधा होता है। हालांकि, गधा होना आसान कतई नही होता तभी तो क्या आम क्या खास सभी गधे को कोसते रहते हैं, गधापन को गरियाते हैं। मंत्री से लेकर संतरी तक उपहास करते हैं फिर भी गधा नामक प्राणी कुछ नहीं कहता, चूं तक नहीं बोलता।
गधा सबसे शोषित जानवर है। इससे इतना काम लिए जाने के बाद भी इसका मजाक उड़ाया जाता है। इस बेजुबान पर पहले ही बहुत सितम ढाए जा रहे थे लेकिन अब तो हद ही हो गई है। कहने को गधे को मूर्ख कहा जाता है लेकिन गुजरात और आंध्र प्रदेश ने मूर्खता के मामले में गधों को पीछे छोड़ दिया है। लिहाजा, इन बेजुबान जानवरों की जान आफत में आ गई है। मानव सभ्यता में हर कदम का साथी उर्फ विनम्र भारवाहक गधा अब तेजी से गुप्त हो रहा है। वजह इंसान का लालच। जीभ का स्वाद व सेहतमंद बने रहने की इच्छा। हाई एंड कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में गधों के अंगों की भारी मांग है।
दक्षिणी राज्यों विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में गधे के मांस के प्रेमी बढ़ गए हैं क्योंकि इससे कथित तौर पर पीठ दर्द और अस्थमा ठीक होता है और यह पुरुषों में पौरुष को भी बढ़ा सकता है। चीनी लोग इसकी त्वचा को उबालकर इजियाओ नामक जिलेटिन सरीखा पदार्थ निकालते हैं, जो अनिद्रा, सूखी खांसी और खराब रक्त परिसंचरण जैसी बीमारियों के इलाज के साथ लोगों की त्वचा को युवा बनाए रखने तथा कामेच्छा बढ़ाने का काम करता है।
गधे सा मेहनती जीव कोई दूसरा नहीं है। ऊंचे-नीचे पथरीले रास्तों पर उसका संतुलन कौशल अतुलनीय होता है। वह धीरज से हर जानलेवा चढ़ाई का, हर फिसलन भरे उतार का सामना करता है। वह बहुत संतोषी जीव होता है। कभी छप्पन भोजन का आकांक्षी नहीं होता गधा। मालिक के लिए खीर-पूड़ी का प्रबंध करनेवाला गधा रूखी-सूखी घास से संतोष कर लेता है।
गधे भी कई प्रकार के होते हैं। इनके बीच अंतर कोई भी नहीं बता सकता। किसी को ये पता नहीं कि गधे भी अपने को गधा कहलाना पसंद नहीं करते।
कहते हैं कि रोम की रानी क्लियोपैट्रा अपनी त्वचा की खूबसूरती के लिए हर रोज गधी के दूध से नहाती थीं। नेपोलियन की बहन पालिन भी गधी के दूध से नहाती थी। दरअसल, गधी का दूध खट्टा होता है। इसमें मौजूद लैक्टोज शुगर लैक्टिक एसिड में बदल जाता है। यह काम दूध में मौजूद बैक्टीरिया ‘लेक्टोबैसिलस’ करते हैं। इस तरह के एसिड जैसे ही त्वचा पर लगाए जाते हैं, वो ‘डेड स्किन’ को हटा देते हैं, जिससे नई और चमकदार त्वचा सतह पर आ जाती है। इसलिए गधी के दूध की कीमत ५,००० रुपए लीटर है।
गधे को एक अच्छी याददाश्त वाला जानवर माना जाता है। इसमें ६० मील दूर दूसरे गधे की आवाज सुनने की ताकत होती है। हमारे पड़ोसी देश चीन में सबसे ज्यादा गधे पाए जाते हैं तो अमेरिका के एक प्रमुख राजनीतिक दल डेमोक्रेटिक पार्टी का चुनाव चिह्न ही गधा है। इससे पता चलता है कि गधा कोई ऐसा-वैसा जानवर नहीं है। अपनी थकान पर विजय प्राप्त कर चुका ऐसा विनीत प्राणी, मान-अपमान से परे संत सा इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा प्राणी नहीं है। उससे चाहे जितना काम लीजिए वह कुछ नहीं बोलेगा।
गधे इंसानों की जिंदगी आसान बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, पर गुजरात, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के इंसान इनके दुश्मन बन गए हैं। गधे की चमड़ी से लोगों की जिंदगी भी बचाई जाती है। दरअसल, इनकी चमड़ी से एनीमिया, प्रजनन और अनिद्रा से जुड़ी बीमारियों की दवाएं बनाई जाती हैं। चीन में गधे की खाल की खासी डिमांड रहती है।
गधे में कई ऐसी खूबियां होती हैं, जिन्हें जानने के बाद आप इच्छा व्यक्त कर सकते हैं कि अगले जनम मोहे गधा ही कीजौ। लेकिन खबरदार जो गुजरात, आंध्र प्रदेश या तेलंगाना में जन्म दिया तो…!!!
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)