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संपादकीय : अमेरिका में रिश्वतखोरी …अडानी के पांव गड्ढे में; ‘चौकीदार’ का क्या होगा?

प्रधानमंत्री मोदी के लाडले मित्र उद्योगपति गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप कोई नया विषय नहीं है। मोदी सरकार ने धारावी से लेकर एयरपोर्ट तक, खदानों से लेकर प्रमुख बेसिक इंप्रâास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तक सब कुछ अडानी को बेच दिया है। ऐसे भी आरोप लगते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी खुद अडानी को विदेशी ठेके दिलाने में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद करते हैं। लेकिन अब अमेरिका में सीधे तौर पर अडानी पर रिश्वतखोरी का आरोप लगा है। और फिर, यह आरोप विपक्षी दलों आदि ने नहीं बल्कि अमेरिका में सरकारी अभियोजकों ने लगाया है और वह भी वहां की अदालत में। यह आरोप पत्र अमेरिकी न्याय विभाग के ‘यूएस एटॉर्नी ऑफिस’ के तहत ईस्ट डिस्ट्रिक्ट आफ न्यूयॉर्क के कार्यालय द्वारा दायर किया गया है। आरोप है कि गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य सात लोगों ने अमेरिका में सौर ऊर्जा वितरण का ठेका पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को दो हजार करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की। बताया जा रहा है कि इस मामले में अडानी के खिलाफ वारंट भी जारी किया गया है। चूंकि ये आरोप सीधे अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए गए हैं इसलिए अडानी समूह, मोदी सरकार और अडानी का वकालतनामा लेने वाली भाजपा का परेशान होना स्वाभाविक है। जैसा कि अपेक्षित था, अडानी समूह ने आरोपों से इनकार किया है और भाजपा प्रवक्ताओं ने इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया है। अडानी समूह का कुछ खुलासा करना एक बार में समझ में आता है, लेकिन भाजपा ने जो बीच में छलांग लगाई है, वह अडानी-भाजपा के ‘हित संबंधों’ को उजागर करने वाला ‘वकालतनामा’ है। बेशक, ये आरोप अमेरिकी अदालत में और वहां के न्याय विभाग द्वारा लगाए गए हैं, इसलिए भारत में भाजपाइयों द्वारा उनके लाडले अडानी के लिए की गई कोशिशें व्यर्थ ही जाएंगी। पिछले साल हिंडेनबर्ग मामले में जांच की नौटंकी भारत में हुई थी इसलिए मोदी और उनकी सरकार अडानी को बचाने में सफल रहे थे। उस मामले में न तो तत्कालीन सेबी अध्यक्ष माधवी बुच, उनके पति और न ही अडानी समूह पर कार्रवाई की गयी थी। लेकिन अब ‘आरोपी का पिंजरा’ अमेरिकी कोर्ट में है। तो देखना होगा कि वहां के ‘हथौड़े’ से अडानी पर कितना बड़ा ‘गूमड़’ निकलता है और मोदी सरकार को कितनी तकलीफ होती है। वास्तव में अडानी, उन्हें रिश्वतखोरी से मिले देश-प्रदेश में करोड़ों के ठेके और उस बाबत मोदी सरकार द्वारा उन्हें मिलने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मदद एक ही सिक्के के ‘तीन पहलू’ हैं। अगर ये तीनों पक्ष अमेरिकी अदालत में आरोप के पिंजरे में खड़े हो गए तो देश की गर्दन दुनिया के सामने झुक जाएगी, इसका जिम्मेदार कौन है? अगर अडानी को कोई सजा मिलेगी तो यह उनके पाप का फल होगा, लेकिन आपके अडानी प्रेम के कारण आज देश पर धब्बा लगा है। एक उद्योगपति के प्यार के लिए देश की इज्जत से ‘सौदा’ करने का अधिकार आपको किसने दिया? आपका अडानी प्रेम देश की जड़ों तक जा पहुंचा है। अमेरिका में रिश्वत मामले को लेकर अडानी महाशय के पैर कितने गहरे तक हैं, यह तो मालूम हो जाएगा, लेकिन देश के स्वयंभू ‘चौकीदार’ का अब क्या होगा? अमेरिका के चौकीदार ने अडानी के गैर व्यवहारों पर कानून का डंडा चलाया है। हालांकि हमारे, खुद को देश का ‘चौकीदार’ कहलवाने वाले अडानी के पक्ष में खड़े रहे हैं। अडानी अपना जो है वह भुगत लेंगे। उनके शेयर की कीमतें गिर गर्इं। उनकी संपत्ति, विश्व रैंकिंग आदि में गिरावट आई है। यह उनका निजी मामला है, लेकिन इस मामले से पूरे शेयर बाजार को जो झटका लगा और उससे आम निवेशकों के कुछ लाख करोड़ रुपए एक झटके में डूब गए। उस नुकसान की भरपाई कैसे होगी? आपके अडानी प्रेम की सजा ये देश, यहां की जनता क्यों भुगते? अमेरिका में हुए मामले से देश की इज्जत दुनिया के सामने शर्मसार हुई है, अडानी की ‘छाया’ बन चुके प्रधानमंत्री मोदी इसका क्या प्रायश्चित करेंगे?

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