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बसपा सुप्रीमो मायावती का कार्यकर्ताओं ने मनाया 69वां जन्मदिन…गठबंधन की राजनीति अपनाने की उठाई आवाज

उमेश गुप्ता / वाराणसी

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का आज बुधवार को 69वां जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शास्त्री घाट पर अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिवस को जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया। मीडिया से बात करते हुए बसपा जनों ने बताया कि आज मायावती 69 साल की हो गईं, उनके जन्मदिन पर हम लोग खुशियां मना रहे हैं। हमारी बहन जन्म-जन्म तक जिंदाबाद रहीं और जिंदाबाद रहेंगी और जिंदाबाद हैं। मायावती गरीबों की मसीहा हैं, उनके लिए हर कार्यकर्ता तत्पर रहता है। कांशीराम ने जो अपना हक मायावती को दिया वह हक बहन कुमारी मायावती सत्यता पूर्वक निभा रही हैं। आज जो बोलने का, खाने का और सुनने का डॉ. भीमराव आंबेडकर साहब की देन है, नहीं तो हम लोगों को कोई हक नहीं था।
जिस तरह से गृह मंत्री अमित शाह ने बाबा भीमराव आंबेडकर पर टिप्पणी की थी, उसका भी हम लोग विरोध और निंदा करते हैं। उनको तो माफी मांगनी चाहिए कि आज वह संसद में आजादी पूर्वक बोल रहे हैं। यह सब देन डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की है, जो कि संविधान के रचयिता हैं और संविधान पर ही हमारा देश चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा। संविधान पर टीका-टिप्पणी करना अच्छा नहीं है, क्योंकि संविधान पर ही पूरा देश टिका हुआ है।
उत्तरी ककर मत्ता स्थिति पूर्व मंडल अध्यक्ष मेराज फारुकी जुगगन एडवोकेट के आवास पर भी बसपा सुप्रीमो का जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में केक काटा गया और उनके लंबे जीवन के लिए दुआ की गयी। अपने संबोधन में पूर्व मंडल अध्यक्ष ने कहा कि हम सभी कार्यकर्ता हर साल 15 जनवरी को बहन जी के जन्म दिन पर उनको प्रदेश और देश के उच्च पद पर देखने के लिए संकल्प लेते हैं, पर आज के राजनीतिक हालात में वो सम्भव नहीं हो पा रहा है। उसका कारण साफ़ है कि जिन लोगों को उन्होंने जमीन से आसमान तक पहुंचाया, सबने उनको धोखा दिया है। वो सिलसिला जारी है। पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक तरह की मायूसी छा रही है।
दूसरी तरफ गठबंधन की राजनीति का बोल बाला है। बड़ी या छोटी पार्टी आज यही कर रही हैं। हमको भी अब इस रास्ते पर आगे बढ़ने की संभावना देखनी होगी, वर्ना 27 में भी कोई ऐसी बात नहीं दिख रही है कि पार्टी अपने बल पर कुछ अच्छा कर सके। मेरी समझ में हम सभी कार्यकर्ताओं को अपनी नेता को एक बार फिर से विचार करने की मांग की जानी चाहिए कि वह आगामी चुनाव में किसी भी तरह अपने समाज का दर्द समझने वाले दल से समझौता पर विचार करना चाहिए। इस अवसर पर अबु बाकर, फिरोज, शमीम आजमी, अफजाल अहमद पंचदेव, मुसाराम उपस्थिति थे।

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