आम आदमी को घोर निराशा
सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को जो आम बजट पेश किया है, उसमें केवल बड़े-बड़े आंकड़े और आकर्षक नारों के अलावा कुछ भी नहीं है। इस बजट में कोई नीति और दूरदर्शिता नहीं है। पिछले १० सालों से मोदी सरकार का बजट जनहित की बजाय सिर्फ हेडलाइन मैनेजमेंट को ध्यान में रख कर तैयार किया जाता रहा है। आज जब देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है तो सरकार के पास युवाओं को स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। बजट में किसानों को राहत देने वाली एक भी योजना नहीं है। महंगाई से त्रस्त जनता को राहत देने का कोई प्रावधान नहीं है। एनडीए सरकार के बजट ने किसानों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों सहित सभी वर्गों और आम लोगों को निराश किया है। इस बात से स्पष्ट है कि शिंदे-फडणवीस-अजीत पवार की केंद्र में कोई साख नहीं है। बीजेपी ने केंद्र में अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश को भारी धनराशि दी है और महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार किया है। यह बात महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि रोजगार सृजन पर जोर देने से पांच साल में एक करोड़ युवाओं को ५०० कंपनियों में इंटर्नशिप के मौके और ५,००० रुपए प्रति माह स्टाइपेंड देने की घोषणा की गई है। एनडीए सरकार के पास स्थायी रोजगार देने की कोई नीति नहीं है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार के पास देश में भारी बेरोजगारी को कम करने की कोई ठोस योजना नहीं है। महाराष्ट्र देश को सबसे ज्यादा टैक्स देता है लेकिन बीजेपी सरकार रिटर्न देते समय सौतेला व्यवहार करती है। बिहार और आंध्र प्रदेश को ४० हजार करोड़ की धनराशि देते समय महाराष्ट्र का जिक्र तक नहीं किया गया। एक बार फिर देखने में आया है कि बीजेपी और गुजरात लॉबी की टेढ़ी नजर महाराष्ट्र पर है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व बाकी मंत्री प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांध रहे हैं, जिससे पता चलता है कि उन्हें महाराष्ट्र से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता है और वे सत्ता के लिए बेचैन हैं।