सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के वीरमाता जीजाबाई भोसले बॉटनिकल उद्यान और चिड़ियाघर (भायखला चिड़ियाघर) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। चिड़ियाघर में जानवरों को अब चिकन नहीं, बल्कि बफैलो (भैंस का मांस) दिया जाएगा। यह कदम नागपुर के बालासाहेब ठाकरे गोरेवाड़ा चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू के कारण तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत के बाद उठाया गया है। इस तरह के मामलों से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है। चिड़ियाघर में मौजूद चार बाघों, चार तेंदुओं, दो लकड़बग्घों और दो लोमड़ियों को अब रोजाना भैंस का मास दिया जाएगा। पहले चिकन सप्ताह या दस दिन में दिया जाता था। पर अब पूरी तरह से डाइट से हटा दिया गया है।
चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. संजय त्रिपाठी ने इस बात की पुष्टि कीे और बताया कि सभी जानवर इस समय स्वस्थ हैं। उनमें किसी भी प्रकार के रोग के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा जानवरों के देखभाल को मास्क और दस्ताने पहनने के निर्देश भी दिए गए हैं। कर्मचारी अब जानवरों के साथ काम करते समय और सफाई के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करेंगे।
चिड़ियाघर के अधिकारियों ने यह भी बताया कि अब कर्मचारियों को जू के बाड़े में प्रवेश से पहले अपने जूते सैनेटाइज करने होंगे। इसके साथ ही अन्य सभी स्वास्थ्य और स्वच्छता नियमों का पालन करना होगा। हालांकि, पक्षियों के बाड़े के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। चिड़ियाघर के अधिकारी ने स्पष्ट किया कि पक्षियों के बाड़े में इंसानों का सीधा संपर्क नहीं होता और बाहरी पक्षियों का अंदर आना भी संभव नहीं है।