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मुंबईकरों पर लदा कर का भार! … चुनावी मनपा बजट में दिखा औकात से ज्यादा खर्च

– राजस्व कम तो पूंजीगत का पैसा जाएगा योजनाओं में
सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा में पिछले लगभग तीन साल से प्रशासक नियुक्त कर राज्य की महायुति सरकार जमकर भ्रष्टाचार कर रही है, वहीं तमाम योजनाओं के माध्यम से जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने में जुटी है। ऐसे में बेहाल मुंबईकरों को इस बार मनपा के बजट से काफी आशा थी, लेकिन मुंबईकरों की आशाओं पर पानी फेरते हुए मनपा ने बजट में उन्हें भारी निराशा दी है। मुंबईकरों को सुविधा देने के नाम पर मनपा ने लोगों की जेब पर डाका डालने का काम शुरू किया है। लोगों से वसूली के लिए `कर’ शाही को बढ़ावा दिया जा रहा है।

मंगलवार को पेश मनपा के वर्ष २०२५-२६ के बजट में १४.१९ प्रतिशत की वृद्धि कर ७४,४२७. ४१ करोड़ रुपए की गई है। मनपा ने ७,४१० करोड़ अतिरिक्त बजट पेश किया। अब सवाल यह है कि मनपा के पास आमदनी के लिए कोई बेहतर सोर्स नहीं है। केंद्र के पास जीएसटी के पैसे भी वापस नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इतने भारी-भरकम बजट के लिए मनपा मुंबईकरों पर ही बोझ लादने जा रही है। कचरा कर और झोपड़पट्टियों में कॉमर्शियल कर के साथ मनपा अपनी जमीनों को बेचकर ७,४१० करोड़ के अतिरिक्त खर्च की भरपाई करेगी।
महंगाई जैसी तमाम समस्याओं को लेकर पहले ही मुंबईकर परेशान चल रहे थे। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मिली-जुली महंगाई की मार झेल रहे मुंबईकरों के सिर पर अब कर `शाही’ का बोझ बढ़ने वाला है। मुंबईकरों पर अब घर से कचरा फेंकने के लिए टैक्स देना होगा, वहीं झोपड़पट्टी इलाकों में छोटे-मोटे कारखाने, दुकान और घरेलू व्यवसाय चलाने वालों को भी भारी टैक्स चुकाना होगा। उन्हें आम कॉमर्शियल संस्थानों की तरह ही टैक्स देना होगा। अगले कुछ महीनों में ये दोनों टैक्स मुंबईकरों के सिर पर लाद दिए जाएंगे। इसके अलावा मनपा पिछले कई वर्षों से पानी के दर में वृद्धि करने पर विचार कर रही थी, वह भी अब जल्द ही लागू किया जाएगा तो प्रॉपर्टी कर में भी वृद्धि के साफ संकेत मनपा ने बजट में दिया है। प्रॉपर्टी कर का टारगेट अब बढ़ाकर ६,२०० करोड़ के आस-पास ले जाया गया है। इसके अलावा मल निस्तारण के लिए भी मनपा टैक्स बढ़ाने पर जोर दे रही है।
मनपा के पास आमदनी कम-सचिन पडवल
मनपा के इस बजट को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व नगरसेवक और कांग्रेस के नेताओं ने निराशाजनक बताया है। इनका कहना है कि मनपा पूंजीगत कोटे से निधि खर्च ज्यादा कर रही है, जबकि राजस्व से आने वाले निधि का खर्च धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, मतलब मनपा के पास आमदनी कम हो रही है। दूसरी तरफ मनपा की एफडी का पैसा भी नियम के बाहर जाकर खर्च किया गया है। भविष्य में इस एफडी को तोड़कर और पैसा खर्च किए जाने की संभावना है। ऐसा आरोप पूर्व नगरसेवक सचिन पडवल ने लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एफडी में २१ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ठेकेदारों की है, जो किसी भी समय काम पूरा होने के बाद निकाल ली जाएगी। मनपा ने एफडी के मामले में कुछ तो आंकड़े छुपाए हैं।
क्या कहते हैं आयुक्त
मुंबई मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने बजट पेश करने के बाद एक प्रेस कॉन्प्रâेस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महानगरपालिका के राजस्व में वृद्धि हुई है। विकास नियोजन शुल्क, अग्निशमन विभाग और ऑक्ट्रॉय क्षतिपूर्ति में वृद्धि के कारण महापालिका के राजस्व में ७,४१० करोड़ रुपए की वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि मनपा का यह बजट मनपा इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। बजट में पूंजीगत बजट ४३,१६२ करोड़ रुपए तो बाकी का खर्च राजस्व बजट से होगा। आयुक्त भूषण गगरानी के अनुसार, संपत्ति कर, जल और मल-निष्कासन कर, तथा राज्य सरकार से प्राप्त राजस्व इस वर्ष के प्रमुख राजस्व स्रोत हैं।

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