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सीमोल्लंघन की ललकार!

आज का दिन सीमोल्लंघन का है, लेकिन वर्तमान में चीन जैसे देश हमारे देश की सीमाओं को तोड़कर घुस आए हैं। बेशक, इसकी फिक्र न तो सरकार को है और न ही उनके अंधभक्तों को। हिंदू परंपरा के अनुसार शाम के बाद शमी के पेड़ से शस्त्र निकाले जाते थे और शाम के समय युग्मपत्र के पत्तों को सोना समझकर बांटा जाता था, यह सिलसिला सदियों से जारी है। हिंदुओं को केवल परंपराओं का पालन करना है और कुछ लोगों ने उन्हीं परंपराओं का इस्तेमाल राजनीतिक पूंजी और बाजार में वोट बनाने के लिए किया। देश के प्रधानमंत्री मोदी कभी-कभार हिंदुओं के नाम पर सीमोल्लंघन करते रहते हैं। ‘हिंदू खतरे में’ होने की भी लफ्फाजी करते हैं। अभी दो दिन पहले उन्हें फिर से हिंदुत्व की हिचकी आई और बोले, ‘कांग्रेस हिंदुओं के बीच विभाजन के बीज बो रही है।’ पहली बात यह है कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति का इस तरह बोलना शोभा नहीं देता है और दूसरी यह कि जब मोदी जैसा कट्टर हिंदुत्ववादी सत्ता में हो तो देश का ‘हिंदू खतरे’ में आ ही कैसे सकता है? कांग्रेस राज में ‘इस्लाम खतरे में’ था और मोदी राज में ‘हिंदू खतरे में’ आया। फिर भी अंधभक्त मोदी को विष्णु का अवतार मानते हैं इसे चमत्कार ही कहा जा सकता है। हिंदू धर्म चाय के प्याले में डूब जाने या मूंछों के काटते ही मर जाने जितना कमजोर नहीं है। हिंदू धर्म प्रगतिशील और विज्ञानवादी है। हिंदू धर्म का अस्तित्व खाने-पीने और दूसरे लोगों के पूजास्थलों के सामने ढोल बजाकर गुलाल उड़ने पर ही नहीं टिका हुआ है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी उन लोगों में से हैं, जो सोचते हैं कि हिंदुओं का जीवन-मरण जातीय दंगों पर ही टिका है। जब हिंदू धर्म मर जाएगा, तो बुद्ध की उपासना भी मर जाएगी। भाजपा के लिए खतरा ये है कि हिंदुओं की बुद्धि तेज है। लोकसभा चुनाव में हिंदुओं समेत अधिकांश मुसलमानों ने भाजपा के खिलाफ वोट किया। इसलिए मोदी के पैरों तले बहुमत की दरी सरक गई। इस पर वे क्या कहें, ‘यह तो वोट जिहाद है।’ मुसलमान इस देश के नागरिक और मतदाता हैं। मुसलमानों का वोट पाने के लिए मोदी और उनके लोग कई चालें चलते हैं। अब भी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजिजू पुणे आए और उन्होंने कहा, ‘अगर भाजपा को वोट देंगे तो मुस्लिम समुदाय को मंत्री पद देंगे।’ अब इसे क्या कहें? मुसलमान के वोटों के लिए ठकुर सुहाती आप करें और दूसरों पर उंगली उठाएं और ‘वोट जिहाद’ चिल्लाएं, यह ढोंग है। देश और महाराष्ट्र को ऐसे सीमोल्लंघन की जरूरत नहीं है।’ हिंदू धर्म में लोकतंत्र और स्वतंत्रता महत्वपूर्ण हैं। ये दोनों चीजें आज कहीं नजर नहीं आतीं। आंदोलन और प्रदर्शन करने वालों को देश का दुश्मन माना जाता है और उन्हें कानून के तहत अटका दिया जाता है। एक वक्त था, जब लक्ष्य को लेकर आंदोलन करने वाले, वे समाज में ऊंचे स्थान पर खड़े होकर संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन करते थे। लेकिन आज ऐसे ध्येयवादी जुनूनी लोग नहीं रहे। पैसों के लिए बिकने वाले बाजारू ही जहां-तहां खड़े हैं। महाराष्ट्र में तो भ्रष्टाचार से सत्ता और उस सत्ता से पुन: फिर भ्रष्टाचार ऐसा ही जारी है। आज के दिल्लीश्वरों ने महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार से कलंकित करने और शिवराय के इस राज्य को बदनाम करने की साजिश रची है। समृद्ध महाराष्ट्र को आज विकलांग महाराष्ट्र होते देखना इससे ज्यादा वेदना क्या हो सकती है। महाराष्ट्र पर बेईमान लोगों का साम्राज्य थोपकर दिल्लीश्वर औरंगजेब की भांति विकट हास्य कर रहे हैं। राज्य में जाति-पांति के विवाद को भड़काकर महाराष्ट्र में आग लगाने की फडणवीस की साजिश और शिंदे के कपट को नाकाम करना ही इस बार का असली सीमोल्लंघन होगा। महाराष्ट्र राज्य ने शिवराय के आदर्श का अनुसरण किया है। उन शिवराय की प्रतिमा भ्रष्टाचार के बोझ तले ढह गई, बावजूद इसके शासक भ्रष्टाचार करना नहीं छोड़ रहा। ये बेशर्मी की हद है। देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं। चीन देश का नक्शा बदलने की कोशिश कर रहा है। इसकी चिंता किए बिना दिल्ली के गपोड़ हरियाणा विजय का डमरू बजा रहे हैं। सत्य, न्याय और नैतिकता से विमुख ये सभी लोग महाराष्ट्र की भूमि पर आक्रमण और अतिक्रमण कर रहे हैं। अत: महाराष्ट्र से प्रेम करने वाले प्रत्येक मर्द को हाथ में तलवार लेकर प्रतिरोध के लिए तैयार हो जाना चाहिए। महाराष्ट्र ने मरी हुई मां का दूध नहीं पिया है। बाघिन का दूध पीकर वह युद्ध के लिए मैदान में उतर आया है। सीमोल्लंघन की ललकार गूंज उठी है!

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