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राजधानी की स्वास्थ्य सेवा पटरी से उतरी! …बाप गिड़गिड़ाता रहा, बच्चे की प्लस गिर रही है, बच्चे की मौत के बाद भी नहीं पसीजा डॉक्टरों का कलेजा

 

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर्मभूमि गोरखपुर से बच्चे के इलाज के लिए राजधानी के केजीएमयू में आये परिजनों ने इलाज करने वाले डॉक्टरों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इस संदर्भ के वायरस वीडियो में ध्वस्त व्यवस्था का जो दृश्य दिख रहा है उससे रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। बच्चे का प्लस लगातार गिरता देख बच्चे का पिता जोर-जोर से याचना कर रहा है कि “अरे यार कुछ तो करो, अरे यार केजीएमयू के डॉक्टर, यहां के डॉक्टर कुछ तो करो, बच्चे की सांस चल रही है। प्लस चल रही है, 22 की प्लस रेट चल रहा है भाई डॉक्टर कुछ तो करो”। परिजनों के अनुसार वे गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डॉक्टर ने मदद करने की जगह उनसे दुर्व्यवहार किये। परिजनों को धमकी दिये। इस संदर्भ में जब केजीएमयू के निदेशक से संपर्क करने की कोशिश की गई तब पता चला कि वह नोयडा हैं। डॉ बीके ओझा से संपर्क करिये। डॉ बीके ओझा को अनेक बार फोन करने पर हर बार फोन काट दिया। संबंधित वीडियो सहित उन्हें वाट्सअप किया गया लेकिन वह समाचार लिखे जाने तक कोई उत्तर नहीं दिया। यही विवरण प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा से बात करने की कोशिश किया तो उन्होंने भी मोबाइल काट दिया। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदारों ने जिस प्रकार से व्यवहार किया लगता है कि पूरे कुंए में भांग पड़ गयी है। ऐसा लगता है कि यूपी का पूरा तंत्र बेखौफ है और व्यवस्था लाचार हो गई है।

जब उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से इस संदर्भ में दोपहर का सामना ने बात किया तो 24 घंटे जनसेवा को समर्पित उपमुख्यमंत्री बिना पूरा सुने कहे भेज दो हम कह दे रहे हैं। सामना ने उनसे पुनः कहा कि बच्चे की मौत हो गयी। उन्होंने कहा भेजिये देखते हैं। राजधानी के स्वास्थ्य सेवाओं की दशा देख कर यूपी के स्वास्थ्य सेवाओं का आप बखूबी अंदाजा लगा सकते हैं।

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