सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री शिंदे के राज में पहले से ही स्वास्थ्य व्यवस्था की धज्जियां उड़ी हुई हैं। सरकारी अस्पतालों में आए दिन इलाज कराने के लिए भर्ती होनेवाले मरीजों की मौतें हो रही हैं। आलम यह है कि लापरवाहों ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। इस सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी से मरीज बेहाल हैं। ऐसे में भंडारा के उपजिला अस्पताल में एक ऐसी लापरवाही सामने आई है, जिसमें प्रसूता का डॉक्टरों ने डिलीवरी के समय डेथ वॉरंट लिख दिया। इस घटना ने मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी तरह से पोल खोल दिया है। बताया गया है कि प्रसव के बाद डॉक्टरों ने महिला के प्राइवेट पार्ट में नैपकिन छोड़ दिए। इस लापरवाही का खुलासा उस समय हुआ, जब प्राइवेट पार्ट में मौजूद नैपकिन के सड़ने की दुर्गंध आने लगी। इसके बाद एक निजी डॉक्टर ने फिर से सर्जरी कर महिला के शरीर से सड़ा हुआ कपड़ा निकाला। डॉक्टर द्वारा महिला की जान से खिलवाड़ करने की घटना से जहां हर तरफ गुस्से की लहर है, वहीं तंज भरे लहजे में लोग कह रहे हैं कि शिंदे के राज में कुछ भी हो सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार, भंडारा के तुमसर तहसील के तामसवाड़ी गांव में रहनेवाली गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के बाद २४ अप्रैल को सुभाषचंद्र बोस उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसकी २४ अप्रैल को नॉर्मल डिलीवरी भी हो गई। प्रसव के बाद अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव होने के कारण उसे रोकने के लिए डॉक्टरों ने प्राइवेट पार्ट में नैपकिन रख दिया। हालांकि, उपचार के बाद डॉक्टर उसे निकालना ही भूल गए। इस बीच उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। नैपकिन महिला के प्राइवेट पार्ट में वैसे ही १५ दिनों तक पड़ा रहा। ऐसे में वह अंदर ही अंदर सड़ने लगा था। इस बीच बहुत ज्यादा दुर्गंध आने के कारण महिला को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बीच जांच के बाद पता चला कि उसके प्राइवेट पार्ट में नैपकिन पड़ा हुआ है। ऐसे में उसकी सर्जरी करनी पड़ी, तब जाकर सड़ चुके नैपकिन को बाहर निकाला जा सका। इस घटना के सामने आते ही महिला की जान से खिलवाड़ करनेवाले सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ लोगों में आक्रोश की लहर पैदा हो गई है।
प्राइवेट पार्ट में बढ़ गया बैक्टीरिया
चिकित्सकों के मुताबिक, करीब १५ दिन बाद निकाले गए सड़ चुके नैपकिन से प्राइवेट पार्ट में बैक्टीरिया का प्रमाण बढ़ गया है। फिलहाल, महिला का इलाज कर दिया गया है और उसकी हालत अब स्थिर है। महिला का दोबारा इलाज करनेवाले डॉ. शेखर चोपकर के मुताबिक, मरीज की जान से खेलनेवाले डॉक्टरों की लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ गई थी। फिलहाल, महिला के पति ने मांग किया है कि ऐसे लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।